दिल्ली HC का आदेश, सरकारी योजनाओं में विदेशी पक्षियों और पशुओं का खुलासा करने पर नहीं होगी कार्रवाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि केंद्र की स्वैच्छिक खुलासा योजना के तहत किसी व्यक्ति ने स्वेच्छा से विदेशी पक्षियों या जानवरों के बारे में जानकारी दी है तो उसके बाद उनके स्वामित्व, व्यापार और प्रजनन के संबंध में उस व्यक्ति की जांच नहीं की जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि एक बार योजना के तहत छह महीने के भीतर खुद खुलासा किया जाता है तो भारत में विदेशी प्रजाति के पशुओं और पक्षियों के स्वामित्व, प्रजनन या परिवहन के संबंध में उस व्यक्ति के खिलाफ किसी सरकारी एजेंसी या
विभाग के अधिकारी द्वारा कोई जांच या कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती है। पीठ ने कहा कि स्वैच्छिक खुलासा के बाद सरकार द्वारा जांच की ऐसी कार्रवाई पूरी तरह से अवैध, मनमानी, अनुचित, असंगत होगी तथा स्वैच्छिक खुलासा योजना का मकसद पूरा नहीं होगा। अदालत का यह आदेश खोदियार पशु कल्याण ट्रस्ट की याचिका पर आया है। ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व वकील राजशेखर राव ने किया।
याचिका में पर्यावरण मंत्रालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह स्वैच्छिक खुलासा परामर्श में ऐसे संवदेनशील विदेशी पशुओं और पक्षियों को शामिल करे जिनका जिक्र लुप्तप्राय प्रजातियां के अंतरराष्ट्रीय व्यापार से संबंधित संधि में नहीं है, लेकिन उन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। ग्यारह जून का परामर्श भारत में विदेशी प्रजातियों के आयात और इस तरह के जीवों के बारे में घोषणा से संबंधित है। यह ट्रस्ट गुजरात स्थित संगठन है जो भारतीय मूल के पशुओं के साथ ही विदेशी प्रजातियों के लिए आश्रय स्थलों का रखरखाव करता है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS