दिल्ली HC ने SDMC को लगाई फटकार, ग्रेटर कैलाश के घरों में पानी भरने से लोग परेशान

दिल्ली HC ने SDMC को लगाई फटकार, ग्रेटर कैलाश के घरों में पानी भरने से लोग परेशान
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हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि दो दिसंबर तय करते हुए कहा कि एसडीएमसी द्वारा उठाए गए कदम आत्मविश्वास नहीं जगाते। इसने अतिरिक्त पानी निकालने के लिए पानी के पंपों की क्षमता बढ़ाने के अलावा कुछ भी नहीं किया है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने यहां ग्रेटर कैलाश दो में बेसमेंट में भरे पानी को निकालने के लिए अपर्याप्त उपायों को लेकर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि उसके द्वारा उठाये गए कदम आत्मविश्वास नहीं जगाते। हाईकोर्ट ने कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) इस मुद्दे के लिए मुख्य निकाय है और जलनिकासी की समस्या उसकी जिम्मेदारी है और वह अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर नहीं टाल सकते।

जज ने दिया निर्देश

न्यायमूर्ति नजमी वाजिरी ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिया कि रेजीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन के तीन सदस्यों के साथ जलनिकासी नालियों को साफ करे और पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग करे। हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी निर्देश दिया कि तस्वीरें लेने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करे और जलनिकासी नालियों को साफ करने के लिए निगम के साथ काम करे। हाईकोर्ट ने निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि पानी को बाहर निकालने के लिए एसडीएमसी द्वारा किए गए उपाय पूरी तरह से अपर्याप्त हैं। उसने कहा कि इलाके के घर पानी भरने के चलते रहने योग्य नहीं रहे हैं, जिससे लोगों को असुविधा हो रही है।

अगली सुनवाई की दो दिसंबर होगी

हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि दो दिसंबर तय करते हुए कहा कि एसडीएमसी द्वारा उठाए गए कदम आत्मविश्वास नहीं जगाते। इसने अतिरिक्त पानी निकालने के लिए पानी के पंपों की क्षमता बढ़ाने के अलावा कुछ भी नहीं किया है। अदालत ने एसीडीएमसी को निर्देश दिया कि उन याचिकाकर्ताओं और व्यक्तियों के घरों का दौरा करे जिन्होंने जलभराव वाले बेसमेंट की तस्वीरें याचिका के साथ संलग्न की हैं और 10 दिन के भीतर एक व्यवस्था के साथ सामने आये।

पानी भरने से सम्पत्तियों का हो रहा नुकसान

हाईकोर्ट निवासियों साधना मोहन एवं अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जो अपनी सम्पत्तियों के बेसमेंट एवं आसपास पानी भरने से परेशान हैं। निवासियों ने अपनी अर्जी में कहा कि जलस्तर बढ़ने से उनकी सम्पत्ति उपयोग के लायक नहीं रही और इससे इमारतों के निवासियों या मालिकों को काफी मुश्किलें हुई एवं नुकसान हुआ।

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