वंदे मातरम' को राष्ट्रगान की तरह सम्मान देने के मामले पर कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, 6 हफ्ते में मांगा जवाब

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम (Vande Mataram) को राष्ट्र गान 'जन गण मन' (Jana Gana Mana) के साथ 'समान' का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र सरकार (Central Government) को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका दायर करने से पहले बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) के मीडिया में जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है।
कोर्ट ने कहा कि जब कोई याचिकाकर्ता कोर्ट के सामने मीडिया के पास जाता है तो इसका मतलब है कि यह पब्लिसिटी स्टंट ( Publicity Stunt) है। हाईकोर्ट (High Court) ने अश्विनी कुमार उपाध्याय को ऐसा नहीं करने का निर्देश दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
उपाध्याय की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए नौ नवंबर की तारीख तय की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं और 'वंदे मातरम' को विकृत तरीके से बजाया जा रहा है जो संविधान सभा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा दिए गए बयान के विपरीत है। जनहित याचिका में कहा गया है कि 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था, "एक मामला है जो चर्चा के लिए लंबित है, वह राष्ट्रगान का सवाल है।
एक ऐसा मामला है जो चर्चा के लिए लंबित है, यह राष्ट्रगान का सवाल है। एक समय यह सोचा गया था कि मामला सदन के समक्ष लाया जा सकता है और सदन द्वारा एक संकल्प के रूप में लिया गया निर्णय लिया जा सकता है, लेकिन यह महसूस किया गया है कि संकल्प के माध्यम से औपचारिक निर्णय (Formal Judgment) लेने के बजाय, यह बेहतर है कि राष्ट्रगान ( National Anthem) के संबंध में एक बयान दें।
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