दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, यूजीसी से स्पष्ट करें अंतिम वर्ष की परीक्षाएं किस आधार पर होगी?

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को यूजीसी से स्पष्ट करने को कहा कि क्या विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं बहुविकल्पीय प्रश्नों, खुले विकल्प, असाइनमेंट और प्रस्तुतिकरणों के आधार पर कराई जा सकती हैं। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने यूजीसी से अप्रैल में जारी उसके दिशानिर्देशों का महत्व बताने को कहा जिनमें किसी कॉलेज द्वारा अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के लिए इस्तेमाल किये जा सकने वाले तरीके का उल्लेख है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की।
यूजीसी ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि दिशानिर्देश अंतिम वर्ष के परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन की अनुमति नहीं देते क्योंकि इससे प्रणाली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है। हाईकोर्ट दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष के परीक्षार्थियों के लिए खुली किताब आधारित परीक्षा कराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस तरह की परीक्षा में लंबा समय लगता है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने दलील दी कि वे ऑनलाइन परीक्षाएं करा रहे हैं क्योंकि यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराना अनिवार्य है।
सेना के सोशल मीडिया अकाउंट को हटाने को लेकर फैसला सुरक्षित
दिल्ली हाईकोर्ट ने सैन्य अधिकारियों पर सोशल मीडिया के प्रयोग पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर एक याचिका पर सिर्फ संबंधित पक्षों की मौजूदगी में सुनवाई का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील का अनुरोध स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि केवल मामले से जुड़े वकीलों को ही सुनवाई में शामिल किया जाए तथा मीडिया समेत सभी अन्य को वेब लिंक से हटा दिया जाए। हाई कोर्ट ने याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
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