पीएम केयर्स फंड को 'सार्वजनिक प्राधिकार' घोषित करने वाली याचिकाओं पर दिवाली बाद होगी दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (PM Cares Fund) को संविधान के तहत 'राज्य' और संविधान के तहत 'लोक प्राधिकरण' घोषित करने की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 30 नवंबर के बजाय 18 नवंबर की तारीख तय की। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की तारीख को बंद करने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
रिट याचिका 30 नवंबर के लिए रखी गई थी। याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि पहले और रजिस्ट्री को अब 18 नवंबर के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन अदालत ने कहा कि वह तारीख को थोड़ा पहले तय कर रही है। याचिकाकर्ता ने दो याचिकाएं दायर की हैं।
संविधान के तहत पीएम केयर्स फंड को 'राज्य' घोषित करने के लिए याचिका में कहा गया है, ताकि इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित लाई जा सके। आरटीआई अधिनियम के तहत इसे 'सार्वजनिक प्राधिकरण' घोषित करने का भी अनुरोध किया गया है। दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि PM CARES फंड एक 'राज्य' है क्योंकि इसका गठन 27 मार्च 2020 को भारत के नागरिकों को COVID-19 के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के मद्देनजर सहायता प्रदान करने के लिए किया गया था।
कोर्ट से कहा कि अगर यह पाया जाता है कि पीएम केयर्स फंड संविधान के तहत 'राज्य' नहीं है, तो सरकार शब्द का इस्तेमाल और प्रधानमंत्री की तस्वीर, राष्ट्रीय चिन्ह आदि का इस्तेमाल बंद करना होगा। इससे पहले, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में अपर सचिव द्वारा अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा गया था कि पीएम केयर्स फंड एक सरकारी फंड नहीं है क्योंकि इसमें दिया गया दान भारत के संचित कोष में नहीं जाता है।
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