दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का किया दौरा

दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का किया दौरा
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दिल्ली में जलापूर्ति को बेहतर बनाने और उसमें सुधार करने के उद्देश्य से दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने उत्तरपूर्वी दिल्ली स्थित सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया।

नई दिल्ली। दिल्ली में जलापूर्ति को बेहतर बनाने और उसमें सुधार करने के उद्देश्य से दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने उत्तरपूर्वी दिल्ली स्थित सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण किया और अधिकारियों को पानी की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ ही पानी की उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए। इस दौरान सौरभ भारद्वाज के साथ डीजेबी के ट्रीटमेंट और क्वालिटी कंट्रोल डायरेक्टर संजय शर्मा, हाउड्रोलिक्स सलाहकार अंकित श्रीवास्तव, चीफ वाटर एनालिस्ट अरुण शर्मा, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दिनेश यादव, सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के प्रबंधक हरीश कटारिया और सीईओ नांलदा दिव्यांशु मौजूद रहे।

भारद्वाज ने सोनिया विहार वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में बनाई गई 51 ट्यूबवेल्स का निरीक्षण किया। इन ट्यूबवेल्स की कुल क्षमता 5.57 एमजीडी है, लेकिन फिलहाल 29 ट्यूबवेल ही पानी का उत्पादन कर पा रहे हैं। भारद्वाज द्वारा अधिकारियों से बाकी ट्यूबवेल्स के काम नहीं करने का कारण पूछा गया। दिल्ली जल बोर्ड के ट्रीटमेंट एंड क्वालिटी कंट्रोल निर्देशक संजय शर्मा ने भारद्वाज को बताया कि बंद पड़े ट्यूबवेल से निकलने वाले पानी में आयरन और अमोनिया जैसे रासायनिक तत्वों की मात्रा बढ़ने की वजह से कुछ समय के लिए इनको बंद करना पड़ा है।

इन सभी ट्यूबवेल के पानी की गुणवत्ता में सुधार का काम चल रहा है। जैसे ही पानी की गुणवत्ता ठीक हो जाएगी, इन सभी ट्यूबवेल को दोबारा शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग ब्रांच ने आयरन की मात्रा 5 से कम होने और हानिकारक तत्वों की मात्रा से 15 कम होने पर ट्यूबवेल चलाने की अनुमति दी थी, लेकिन बाद में सभी ट्यूबवेल्स की उचित सफाई के बाद चलाने की इजाजत दी गई थी। ट्रीटमेंट और क्वालिटी कंट्रोल निर्देशक ने यह सुझाव भी दिया कि ट्यूबवेल की उचित सफाई से पानी में प्रदूषक तत्वों की मात्रा में कमी आ सकती है।

7 दिन में गुणवत्ता रिपोर्ट सौंपने के दिए निर्देश

भारद्वाज ने निरीक्षण के दौरान पानी में प्रदूषक तत्वों का ताजा लेवल (स्तर) जानने की इच्छा जताई। सौरभ भारद्वाज के निर्देश पर पानी के सैंपल लिए गए और अधिकारियों को 7 दिनों में गुणवत्ता रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए। निरीक्षण के दौरान सौरभ भारद्वाज ने यह भी जानना चाहा कि ट्यूबवेल की कितनी क्षमता कम हुई है और उनकी वास्तविक क्षमता क्या है ? भारद्वाज ने अधिकारियों से पानी में हानिकारक तत्वों की मात्रा में कमी लाने के लिए सुझाव मांगे और अधिकारियों से कहा कि ट्यूबवेल के पानी में हानिकारक तत्वों को कैसे कम किया जा सकता है, इसके लिए वो 7 दिनों में एक प्रेजेंटेशन यानी एक्शन प्लान तैयार करें।

पानी की निरंतर मॉनिटरिंग करना आवश्यक

डीजेबी उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पानी की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए पानी की निरंतर मॉनिटरिंग करना आवश्यक है। उन्होंने अधिकारियों के सामने पानी की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए एक मैकेनिज्म यानी सिस्टम तैयार करने की इच्छा जाहिर की। भारद्वाज ने कहा कि एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जाए जिससे यह पता चल सके कि कितनी ट्यूबवेल काम कर रही हैं और कितनी ट्यूबवेल बंद हैं और ट्यूबवेल से निकल रहे पानी की गुणवत्ता कैसी है? इस तरह की रियल टाइम जानकारी एक सिस्टम के जरिए ऑनलाइन साझा की जा सके। भारद्वाज ने इसके लिए ट्रीटमेंट और क्वालिटी कंट्रोल निर्देशक संजय शर्मा को 7 दिनों में प्रेजेंटेशन के साथ एक एक्शन प्लान तैयार करने के भी निर्देश दिए।

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