CM केजरीवाल को अपॉइंटमेंट देने से LG का इनकार, कहा- मिलने का समय नहीं

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना (Lieutenant Governor Vinay Saxena) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) के बीच चल रही तनातनी थमने का नाम नहीं ले रही है। इसी बीच अब एक और नया मामला सामने आया है, जहां एलजी ने सीएम केजरीवाल को जल्द मीटिंग का समय देने से इनकार कर दिया है।
दरअसल एलजी विनय कुमार सक्सेना ने सोमवार को (यानी कल) सीएम केजरीवाल को गवर्नेंस से जुड़े मुद्दों पर बैठक के लिए आमंत्रित किया था। इसके तुरंत बाद, केजरीवाल ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और आज बैठक के लिए समय मांगा।
लेकिन, अब सूत्रों के मुताबिक खबर है कि उपराज्यपाल के कार्यालय ने तुरंत मिलने का समय देने से इनकार कर दिया और कहा है कि उपराज्यपाल के पास शुक्रवार शाम चार बजे से पहले मिलने का समय नहीं है। बता दें कि अक्सर आप पार्टी (Aam Aadmi Party) और दिल्ली के उपराज्यपाल एक-दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप लगाते रहते है। ऐसे में एक बार फिर इस नए मामले ने एलजी और दिल्ली के सीएम के बीच दूरियां बढ़ा दी हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारों को लेकर लंबे समय से एलजी और सीएम के बीच तीखी बहस चल रही है और यह बहस अब लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों एक दूसरे पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। उपराज्यपाल ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा था। जिसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने उन्हें अपनी प्रतिक्रिया भेजी है।
सीएम ने अपने पत्र में कहा है कि आप दिल्ली की जनता की चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर अपना पक्ष सार्वजनिक करें। अधिकारियों से सीधे अधिसूचना जारी करके 10 एल्डरमैन, पीठासीन अधिकारियों और हज कमेटी की नियुक्ति के लिए जनता की कड़ी आलोचना हुई है। वही सीएम केजरीवाल ने सरकार को दरकिनार करने की तमाम कार्रवाइयों को स्वीकार करते हुए कहा है कि उन सभी अधिनियमों और प्रावधानों में लिखा है कि प्रशासक-उपराज्यपाल की नियुक्ति की जाएगी।
बिजली, स्वास्थ्य, पानी, शिक्षा से जुड़े सभी कानून और अधिनियम सरकार को प्रशासक-एलजी के रूप में परिभाषित करते हैं, तो क्या आप इन सभी विभागों को सीधे चलाएंगे? फिर दिल्ली की चुनी हुई सरकार क्या करेगी? क्या यह निर्वाचित सरकार से संबंधित हस्तांतरित विषयों पर सर्वोच्च न्यायालय के सभी निर्णयों के विपरीत नहीं होगा? यह सवाल दिल्ली और पूरे देश के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए निजी बातचीत की अपेक्षा सार्वजनिक चर्चा करना बेहतर है।
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