Delhi Liquor Policy Case: SC ने सिसोदिया की याचिका पर ED और CBI को जारी किया नोटिस, 28 जुलाई को सुनवाई

Delhi Liquor Policy Case: SC ने सिसोदिया की याचिका पर ED और CBI को जारी किया नोटिस, 28 जुलाई को सुनवाई
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Delhi Liquor Policy Case: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति घोटाले के संबंध में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इसके बाद उन्होंने जांच एजेंसियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख निर्धारित की है।

Liquor Policy Case: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति घोटाले के संबंध में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में जमानत की मांग करने वाली आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस संजीव खन्ना, जज बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने बीमारी से पीड़ित अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति देने के लिए अंतरिम जमानत की मांग करने वाली सिसोदिया की याचिका पर भी नोटिस जारी किया। अब इस मामले की सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की है।

सीबीआई और ईडी ने किया था अरेस्ट

दिल्ली के डिप्टी सीएम के रूप में उनके द्वारा संभाले गए कई विभागों में से कई के साथ-साथ उनके पास उत्पाद शुल्क विभाग भी था। उन्हें उत्पाद शुल्क नीति घोटाले में उनकी भूमिका के लिए 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। तब से वह जेल में हैं। ईडी ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद 9 मार्च को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरेस्ट कर लिया था।

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पत्नी की बीमारी के आधार पर जमानत की मांग

मनीष सिसोदिया ने अपनी पत्नी की बीमारी के आधार पर जमानत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इन आधारों पर आम आदमी पार्टी नेता को अंतरिम राहत देने पर विचार करेगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई मामले में उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि वह एक हाई-प्रोफाइल हैं, जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। 3 जुलाई को, दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया, यह मानते हुए कि उनके खिलाफ आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं।

हाई कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उनकी पार्टी अभी भी सत्ता में है। कभी 18 विभाग संभालने वाले सिसोदिया का प्रभाव कायम है। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अधिकतर गवाह सिविल सर्विस से जुड़े हुए लोग हैं। इसलिए उनके प्रभावित होने की संभावना से बिल्कुल भी मनाही नहीं की जा सकती है।

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