श्मशान में ड्यूटी कर रहे ASI ने टाली बेटी की शादी, 1100 से अधिक शवों का किया अंतिम संस्कार, पेश कर रहे है ऐसी मिसाल

दिल्ली समेत देशभर में कोरोना महामारी से हजारों लोग मर रहे है। जहां इस बीमारी से मरे लोगों से अपनों ने दूरियां बना ली है। आखिरी समय में भी अपने साथ छोड़ रहे है। क्योंकि कोरोना का खौफ इस कदर मन में बैठ चुका है की बाप हो या बेटा कोई भी इस कठिन समय में अपनों को मुखागिनी देने से कतरा रहे है। शवों का अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट में जाने से डर रहे है। तो जरा सोचिए आज के समय में इंसानियत कितनी तार-तार हो चुकी है। लेकिन कुछ ऐसे इंसान भी इस दुनिया में है जो इंसानियत को जिंदा रखे हुए है। जो अपनों की परवाह किए बगैर ही कोरोना से मरे लोगों का अंतिम संस्कार के लिए आगे आ रहे है।
13 अप्रैल से इस काम में लगे है राकेश कुमार
ऐसा ही महान कार्य दिल्ली पुलिस का एक जवान एएसआई राकेश कुमार कर रहे है। जिन्होंने इन कामों के लिए अपनी बेटी की शादी भी टाल दी। इन दिनों एएसआई राकेश कुमार की काफी चर्चा हो रही है। कई लोग इनके इस काम के लिए तारीफ भी कर रहे है। क्योंकि ये कोरोना से मरने वालों को न सिर्फ कंधा दे रहे हैं, बल्कि अंतिम संस्कार की सभी जिम्मेदारियां भी निभा रहे है। उन्होंने अब तक 1100 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। राकेश बताते हैं कि वह यहां कोरोना की दूसरी लहर के शुरू होने के साथ यानी 13 अप्रैल से लगे हैं। अब तक वह इस श्मशान घाट में 1100 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं। इनमें करीब 60 शव तो ऐसे थे। जिनके एक या दो ही परिजन साथ में थे। वह भी डर से श्मशान घाट के अंदर नहीं आए। शवों को कंधा तक उन्होंने दिया।
राकेश कुमार ने इसके टाली बेटी की शादी
56 साल के एएसआई राकेश कुमार साउथ-ईस्ट दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन थाने में तैनात हैं। 1986 बैच के राकेश मूलरूप से बड़ौत, यूपी के रहने वाले हैं। आजकल लोदी रोड श्मशान घाट में आने वाले कोरोना मृतकों के शवों के अंतिम संस्कार में मदद कर रहे हैं। 13 अप्रैल से यहीं डटे हैं। अपने इस काम को डयूटी से भी अधिक अपना धर्म समझते हुए एएसआई ने अपनी बेटी की शादी भी कुछ समय के लिए टाल दी है। उन्होंने कहा कि बेटी की शादी तो बाद में भी हो जाएगी, लेकिन अभी जरूरत यहां इंसानियत निभाने की है। उनके इस फैसले से परिवार के तमाम लोग रजामंद हैं।
इंसानियत का फर्ज तो निभाना ही चाहिए: राकेश कुमार
एएसआई से जब पूछा गया कि कि क्या तुम्हें डर नहीं लगता? जवाब था नहीं, डर किस बात का। किसी को तो यह काम करना ही है। अगर हर आदमी ऐसे ही मुंह मोड़ लेगा, तो यह सिस्टम कैसे चलेगा? इंसानियत का फर्ज तो निभाना ही चाहिए। वह वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं। हर वक्त मास्क और ग्लव्स पहनकर इस काम में जुट रहते हैं। एएसआई राकेश कुमार के इस साहस भरे इस काम को न केवल यहां शवों के साथ आने वाले परिजन रोते-बिलखते हुए सलाम करते हैं, बल्कि पूरी जिला पुलिस उन्हें सेल्यूट कर रही है। जिले के डीसीपी आर पी मीणा भी उनकी सराहना करते हैं।
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