Delhi Pollution: दिल्ली में कनॉट प्लेस के बाद आनंद विहार में लगाया गया स्मॉग टावर, जानिए क्या है खासियत

Delhi Pollution: दिल्ली में कनॉट प्लेस के बाद आनंद विहार में लगाया गया स्मॉग टावर, जानिए क्या है खासियत
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Delhi Pollution: ये टावर एक किलोमीटर की दूरी तक हवाओं को साफ करने का काम करेगा। इससे बनने में एक साल का समय लगा है। इसमें करीब 5 हज़ार फिल्टर स्मॉग टावर के अंदर है, जो हवाओं को पॉल्युशन फ्री करेंगे। प्रदूषित हवाओं को क्लीन करके बाहर निकालेगा। इसमें 40 पंखे लगाए गए है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों को चिन्हित कर वहां स्मॉग टावर लगवाए जा रहे हैं। इसलिए कनॉट प्लेस के बाद आनंद विहार इलाके को स्मॉग टावर बनाने के लिए चुना गया।

Delhi Pollution दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) में ठंड आने के साथ प्रदूषण का प्रकोप बढ़ जाता है। इसकी वजह दिल्ली से सटे राज्यों में खेतों में पराली जलाने (Stubble Burning) की शुरुआत हो जाती है। इसलिए दिल्ली में दमघोंटू हवा से लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। इस बीच, दिल्ली के आनन्द विहार (Anand Vihar) में आज स्मॉग टावर (Smog Tower) का उद्घाटन किया गया है। ये टावर एक किलोमीटर की दूरी तक हवा को साफ करने का काम करेगा। इसे बनने में एक साल का समय लगा है। इसमें करीब 5 हज़ार फिल्टर स्मॉग टावर के अंदर है, जो हवाओं को पॉल्युशन फ्री करेंगे।

प्रदूषित हवा को क्लीन करके बाहर निकालेगा। इसमें 40 पंखे लगाए गए है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों को चिन्हित कर वहां स्मॉग टावर लगवाए जा रहे हैं। इसलिए कनॉट प्लेस के बाद आनंद विहार इलाके को स्मॉग टावर बनाने के लिए चुना गया। इस इलाके में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। यहां यातायात की सुविधा अधिक होने से प्रदूषण लेवल हमेशा अधिक रहता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक दिल्ली में स्मॉग टावर लगाने का आदेश दिया था। जिसके बाद केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने स्मॉग टावर बनाने का फैसला किया। कुछ दिनों पहले दिल्ली सरकार ने कनॉट प्लेस इलाके में स्मॉग टावर का निर्माण कर उद्धघाटन किया था। इसके बाद अब केंद्र सरकार ने आनन्द विहार में स्मॉग टावर का उद्धघाटन किया है। अगर ये स्मॉग टावर सही तरीके से काम करते है या सफल होते है तो इस तरीके के स्मॉग टावर का निर्माण देश के अन्य प्रदूषित शहरों में लगाया जा सकता है। वहीं दिल्ली सरकार ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देख रही है। इसी तरीके टॉवर आने वाले दिनों में कई ओर जगहों पर लगते दिखाई दे सकते है।

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