Delhi Pollution: प्रदूषण पर काबू पाने के लिए CM केजरीवाल ने पत्र लिखकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात का मांगा समय

Delhi Pollution: प्रदूषण पर काबू पाने के लिए CM केजरीवाल ने पत्र लिखकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात का मांगा समय
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Delhi Pollution: पराली जलाने को लेकर किसानों का कहना है कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच 10-15 दिनों का छोटा सा अंतराल होता है और वे पराली जलाते हैं क्योंकि यह पुआल के प्रबंधन तथा अगली फसल के लिए खेत को तैयार करने का किफायती और समय बचाने वाला तरीका है।

Delhi Pollution दिल्ली में सर्दी शुरू होने वाली है। इसके साथ प्रदूषण के स्तर में इजाफा देखने को मिल सकता है। क्योंकि अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली से सटे राज्यों में किसान खेतों में पराली जलाने (Stubble Burning) का काम करते है। इसके कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। अब इस सिलसिले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) प्रदूषण को कम करने के उपायों पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Union Environment Minister Bhupender Yadav) से मुलाकात का समय मांगा। इस संबंध में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री (Environment Minister Gopal Rai) के सचिव ने केंद्रीय मंत्री के निजी सचिव को एक पत्र लिखा है। पराली जलाने को लेकर किसानों का कहना है कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच 10-15 दिनों का छोटा सा अंतराल होता है और वे पराली जलाते हैं क्योंकि यह पुआल के प्रबंधन तथा अगली फसल के लिए खेत को तैयार करने का किफायती और समय बचाने वाला तरीका है।

गोपाल राय ने विभागों से 21 सितंबर तक कार्य योजना बनाने को कहा

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने कई विभागों को 21 सितंबर तक अपनी कार्य योजना तैयार करने को कहा है। उनके आधार पर दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए शीतकालीन कार्य योजना बनाई जाएगी। विकास विभाग दिल्ली में पराली प्रबंधन के लिए कार्य योजना तैयार करेगा। राय ने कहा कि तीन नगर निगमों, दिल्ली छावनी बोर्ड, एनडीएमसी, डीडीए और अन्य सभी सरकारी निर्माण एजेंसियों को धूल उत्सर्जन पर काबू के लिए कार्य योजना तैयार करनी है। उन्होने कहा कि इन विभागों को अपने अधिकारियों को जमीनी स्तर पर संवेदनशील बनाने को भी कहा गया है।

केंद्र को देंगे बायो-डीकम्पोजर रिपोर्ट की जानकारी

सीएम केजरीवाल ने कहा था कि वह पूसा बायो-डीकम्पोजर की ऑडिट रिपोर्ट के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करेंगे और उनसे किसानों के बीच इसे मुफ्त वितरित करने के लिए दिल्ली के आसपास के राज्यों को निर्देश देने का आग्रह करेंगे। बायो-डीकम्पोजर एक प्रकार का तरल पदार्थ है जो 15-20 दिनों में पराली को खाद में बदल सकता है। उन्होंने कहा था कि एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा कराए गए ऑडिट में पूसा बायो-डीकम्पोजर का उपयोग काफी प्रभावी पाया गया है। दिल्ली सरकार ने पिछले साल यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार तरल पदार्थ का प्रयोग किया था।

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