SC ने समय की कमी के चलते उमर खालिद की जमानत याचिका टाली, जानें कब होगी सुनवाई

SC ने समय की कमी के चलते उमर खालिद की जमानत याचिका टाली, जानें कब होगी सुनवाई
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Delhi Riots: दिल्ली दंगे मामले में आरोपी और जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका पर होने वाली सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने टाल दिया है। कोर्ट ने समय की कमी का हवाला देते हुए अगली सुनवाई की तारीख तय की है।

Delhi Riots: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 1 नवंबर की तारीख तय की। न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई को स्थगित कर दिया है। बता दें कि उमर खालिद गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज मामले में साजिश का आरोपी है। यह मामला फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ा है।

उमर खालिद के वकील ने क्या कहा

खालिद ने पिछले साल जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की है। खालिद का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उमर खालिद लगभग तीन वर्षों से जेल में विचाराधीन कैदी हैं। ट्रायल कोर्ट ने अभी तक मामले में आरोप तय नहीं किए हैं। वह एक पीएचडी के शोधार्थी हैं।

20 मिनट में दिखा सकते हैं खालिद पर कोई मामला नहीं

कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि उन्हें अदालत को यह दिखाने के लिए सिर्फ 20 मिनट की आवश्यकता है, क्योंकि खालिद के खिलाफ कोई मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि खालिद के खिलाफ साजिश के आरोप अस्पष्ट हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने कहा कि आरोपियों के कारण ही इतने वर्षों में आरोप तय करने में देरी हुई है। खालिद पर गंभीर आरोप थे।

क्या है मामला

आपको बता दें कि खालिद पर सांप्रदायिक हिंसा के पीछे एक "बड़ी साजिश" का हिस्सा होने का आरोप है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह अन्य सह-अभियुक्तों के साथ लगातार संपर्क में थे और उनके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही थे।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि आरोपियों के कृत्य प्रथम दृष्टया यूएपीए के तहत "आतंकवादी कृत्य" के रूप में योग्य हैं। उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीएए विरोधी प्रदर्शन हिंसक दंगों में बदल गया, जो प्रथम दृष्टया साजिशपूर्ण बैठकों में आयोजित किया गया प्रतीत होता है और गवाहों के बयान विरोध प्रदर्शन में खालिद की सक्रिय भागीदारी का संकेत देते हैं।

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