Delhi Riots: उमर खालिद और शरजील इमाम की दिल्ली कोर्ट में हुई सुनवाई, जानें पूरी बात

Delhi Riots: उमर खालिद और शरजील इमाम की दिल्ली कोर्ट में हुई सुनवाई, जानें पूरी बात
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दिल्ली कोर्ट में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और शरजील इमाम को लेकर सुनवाई हुई। इसमें आज दलील दी गयी कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने पर गिरफ्तार किए गए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम पर राजद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता क्योंकि उन्होंने भाषण में हिंसा करने के लिए नहीं कहा था।

Delhi Riots दिल्ली कोर्ट (Delhi Court) में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) और शरजील इमाम (Sharjeel Imam) को लेकर सुनवाई हुई। इसमें आज दलील दी गयी कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने पर गिरफ्तार किए गए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र शरजील इमाम पर राजद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता क्योंकि उन्होंने भाषण में हिंसा करने के लिए नहीं कहा था। उधर, दिल्ली दंगा मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका पर आज राजधानी की अदालत में सुनवाई होगी। खालिद को पिछले साल सितंबर में गिरफ्तार किया गया था। वास्तव में खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई 20 अगस्त को होनी थी लेकिन जल्दी सुनवाई करने के लिए डाली गई एक याचिका के चलते इसकी तारीख 18 अगस्त कर दी गई थी। हालांकि 18 अगस्त को अतिरिक्त सेशन्स जज अमिताभ रावत ने मामले की सुनवाई को 23 अगस्त तक के लिए टाल दिया था।

यूएपीए के दोनों को किया गया गिरफ्तार

इमाम ने 2019 में दो विश्वविद्यालयों में दिए भाषणों से जुड़े मामले में जमानत की अर्जी दी है। उन भाषणों में उन्होंने असम तथा बाकी के पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश से 'काटने' की कथित तौर पर धमकी दी थी। उन्हें राजद्रोह तथा गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। इमाम की ओर से पेश अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत को बताया कि उनके मुवक्किल के भाषण के किसी भी हिस्से में किसी भी तरह की हिंसा करने की बात नहीं कही गई। मीर ने कहा कि जब शरजील इमाम ने कहा कि कानून का यह हिस्सा (सीएए/एनआरसी) असंवैधानिक है, मांग की कि सरकार इस पर पुन:विचार करे और कहा कि यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो हम सड़कों पर उतर आएंगे, ऐसा कहने पर उन पर राजद्रोह का मामला नहीं बनता है।

दिल्ली पुलिस ने उमर की याचिका पर किया विरोध

दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इसमें कोई दम नहीं है। मालूम हो कि अदालत दिल्ली दंगों के एक अन्य मामले में उमर खालिद को जमानत दे चुकी है। जमानत देते हुए अदालत ने कहा था कि हम उमर को सिर्फ इसलिए लंबे समय तक जेल में नहीं रख सकते क्योंकि मामले के अन्य आरोपियों की पहचान की जानी है और उन्हें गिरफ्तार करना है। इस मामले में पिछले वर्ष सिंतबर माह में आरोपपत्र दायर किया था। आरोपपत्र में जेएनयू छात्रा एवं पिंजरा तोड़ सदस्य देवगांना कलिता, आसिफ तन्हा, गुलफिशा फातिमा, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, जेएनयू छात्रा सफूरा जरगर, मीरन हैदर और शिफा-उर-रहमान, आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान को आरोपी बनाया गया है।

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