Tihar: तिहाड़ जेल में फर्जी भर्ती घोटाले का अंदेशा, कैदियों की मौत के बीच ऐसे हुआ पूरे मामले का खुलासा

राजधानी दिल्ली की वीआईपी जेल तिहाड़ जेल (Tihar Jail) एक बार फिर गलत वजह से सुर्खियों में है। जेल में फर्जी अभ्यर्थियों (Fake Candidates) की भर्ती के संकेत मिल रहे हैं। ये सारे खुलासे ऐसे समय में हुए हैं, जब पिछले कुछ दिनों में तिहाड़ जेल में बंद कैदियों की मौत की खबरें आ रही हैं। दरअसल, तिहाड़ जेल के नए स्टाफ के बीच बायोमेट्रिक सत्यापन अभियान (Biometric Verification Drive) चलाया गया है।
इसके निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं। इन कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाले दिल्ली सब-ऑर्डिनेट सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (Sub-ordinate Service Selection Board) के पास उपलब्ध आंकड़ों से कई जेल कर्मचारियों के फिंगर प्रिंट (Finger Print) मेल नहीं खा रहे हैं। इससे यह आशंका पैदा हुई है कि जेल में काम करने वाले कर्मचारी और उनके नाम पर परीक्षा देने वाले लोग अलग नहीं थे।
दिल्ली सब-ऑर्डिनेट सर्विस सेलेक्शन बोर्ड ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में बायोमेट्रिक सत्यापन अभियान चलाया। यह अभियान नवंबर के अंतिम सप्ताह में किया गया था। 2019 से अब तक डीएसएसएसबी (DSSSB) की परीक्षा के माध्यम से तिहाड़ जेल में वार्डर और सहायक अधीक्षक पद (Assistant Superintendent Post) के लिए जितनी भी नई भर्तियां हुई हैं, उन सभी के बायोमेट्रिक सैंपल (Biometric Sample) का मिलान जेल में मौजूद कर्मचारियों के सैंपल से किया गया।
बता दें कि DSSSB भर्ती प्रक्रिया के दौरान सभी उम्मीदवारों का डेटा लेता है और उसे सुरक्षित रखता है। हैरानी की बात यह है कि 47 कर्मचारी ऐसे सामने आए हैं जिनका डेटा डीएसएसएसबी के बायोमेट्रिक डेटा (Biometric deta) से मेल नहीं खा रहा है। इससे आशंका है कि तिहाड़ में ड्यूटी करने वाले और इन भर्तियों के लिए परीक्षा देने वाले लोग अलग तो नहीं थे।
फिलहाल कार्रवाई के तहत इन सभी 47 नए जेल कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी गई है और इन्हें जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया गया है। डीएसएसएसबी DSSSB() की फाइनल रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि भर्ती के दौरान कई बार होने वाली धांधली को रोकने के लिए इस तरह की जांच की गई है।
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