Delhi Pollution Update: दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बढ़कर हुई 36 फीसदी

(Delhi Pollution Update) केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी सफर ने जानकारी देते हुये कहा कि दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाये जाने से निकलने वाले प्रदूषकों की हिस्सेदारी बृहस्पतिवार को बढ़ कर 36 प्रतिशत हो गई, जो इस मौसम में सर्वाधिक है। पीएम 2.5 वायु में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के कण हैं।
पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की 2,912 घटनाएं सामने आई
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी सफर के मुताबिक, पड़ोसी राज्यों में खेतों में पराली जलाये जाने की 2,912 घटनाएं बुधवार को दर्ज की गईं, जो इस मौसम में सर्वाधिक हैं। सफर ने कहा कि दिल्ली में पीएम 2.5 के 36 प्रतिशत सकेंद्रण के लिये पराली जलाये जाने की घटनाएं जिम्मेदार हैं। यह संकेंद्रण बुधवार को 18, मंगलवार को 23 और सोमवार को 16, रविवार को 19 और शनिवार को नौ प्रतिशत था।
दिल्ली में आज एक्यूआई 402 दर्ज किया गया
दिल्ली में दोपहर दो बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 402 दर्ज किया गया। एक्यूआई का 24 घंटे का औसत बुधवार को 297, मंगलवार को 312, सोमवार को 353, रविवार को 349, शनिवार को 345 और शुक्रवार को 366 था। शून्य से 50 के बीच के एक्यूआई को अच्छा, 51 से 100 के बीच को संतोषजनक, 101 और 200 के बीच को मध्यम, 201 से 300 तक को खराब और 301 से 400 के बीच को बहुत खराब तथा 401 से 500 तक को गंभीर माना जाता है।
पराली पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि के लिये जिम्मेदार
सफर ने कहा कि स्थानीय स्तर पर पैदा हुए प्रदूषकों और पराली जलाये जाने वाले क्षेत्रों से आने वाली उत्तर पछुआ पवनों के चलते आए बाहरी प्रदूषक पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि के लिये जिम्मेदार हैं। सफर ने कहा कि सतह पर चलने वाली वायु गति और बेहतर मौसमी दशाओं के चलते स्थिति में शनिवार तक सुधार होने की संभावना है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिये अध्यादेश लाये हैं: केन्द्र
केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये अध्यादेश लायी है और इसे जारी कर दिया गया है। पीठ ने इस पर कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाये जाने के मामले में कोई निर्देश देने से पहले वह अध्यादेश देखना चाहेगी। पीठ ने कहा कि हम कोई आदेश पारित करने से पहले अध्यादेश पर गौर करना चाहेंगे। याचिकाकर्ता भी इसे देखना चाहेंगे।
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