दिल्ली सतर्कता विभाग ने सत्येंद्र जैन घूस मामले में सीबीआई जांच पर उठाए सवाल

दिल्ली सतर्कता विभाग ने सत्येंद्र जैन घूस मामले में सीबीआई जांच पर उठाए सवाल
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सीबीआई ने सत्येंद्र जैन घूस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। इस जांच के ऊपर दिल्ली सतर्कता विभाग ने सवाल उठाए हैं। विशेष अदालत से क्लोजर रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए समय मांगा है

दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले को बंद करने के लिये दी गई सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में खामियों व विसंगतियों का हवाला देते हुए कहा कि मामले में आगे जांच की जरूरत है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

यह मामला लोक निर्माण (पीडब्ल्यूडी) विभाग के लिये एक रचनात्मक टीम को नियुक्त करने से जुड़ा है। सतर्कता विभाग के सहायक निदेशक ने एक विशेष अदालत के समक्ष एक लिखित अनुरोध दायर किया था, जिसमें उचित विरोध याचिका दाखिल करने के लिए मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की क्लोजर रिपोर्ट में खामियों और विसंगतियों का अध्ययन करने के लिए दो महीने का समय मांगा गया था।

अधिकारियों ने कहा कि विभाग द्वारा उठाए गए मुद्दों पर एजेंसी द्वारा आगे की जांच की आवश्यकता हो सकती है। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत ने अब, इस निर्देश के साथ 31 जनवरी तक का समय दिया है कि अंतिम विरोध याचिका सतर्कता विभाग के सचिव या उप सचिव के हस्ताक्षर के तहत दायर की जानी चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने पिछले साल अप्रैल में चार साल की लंबी जांच के बाद दिल्ली के पीडब्ल्यूडी मंत्री जैन और अन्य के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार से जुड़े मामले को बंद कर दिया था।

एजेंसी आम आदमी पार्टी (आप) के नेता के खिलाफ अभियोजन के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं जुटा पाई थी। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने विशेष अदालत के समक्ष पिछले साल अप्रैल में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, जो संघीय एजेंसी द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर भी सकती है और नहीं भी। सीबीआई ने 28 मई, 2018 को दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) के उपराज्यपाल के कार्यालय से एक संदर्भ पर एक निजी फर्म को पीडब्ल्यूडी विभाग के लिये एक रचनात्मक टीम को काम पर रखने के लिए निविदा देने में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए सतर्कता विभाग की रिपोर्ट पर मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने संदर्भ मिलने के बाद एक साल की प्रारंभिक जांच की थी। इसने मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे और जांच के निष्कर्षों को प्राथमिकी में बदल दिया था।

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