दिल्ली दंगा के आरोपी उमर खालिद की जमानत पर कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, 14 मार्च को...

दिल्ली दंगा के आरोपी उमर खालिद की जमानत पर कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, 14 मार्च को...
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देश की राजधानी दिल्ली (Capital Delhi) की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा (North-East Delhi Violence) मामले में उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका (Bail Petition) पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

देश की राजधानी दिल्ली (Capital Delhi) की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा (North-East Delhi Violence) मामले में उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका (Bail Petition) पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत (Amitabh Rawat) ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुरक्षित रखा है।

अब कोर्ट 14 मार्च को उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की ओर से विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद (Amit Prasad) और उमर खालिद की ओर से अधिवक्ता त्रिदीप पायस ने दलील दी। पायस ने कहा कि अभियोजन पक्ष के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उमर खालिद ने शारजील इमाम को योगेंद्र यादव से मिलवाया था।

त्रिदीप पायस ने कहा कि बिना किसी आधार के आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जा सकता है। इस मामले के सप्लीमेंट्री चार्जशीट (Supplementary Chargesheet,) में बिना तथ्यों के आरोप लगाए गए हैं। पायस ने कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि बैठक में उमर खालिद मौजूद थे। बैठक में उपस्थित होने में क्या अपराध है? बैठक में शामिल कई अन्य लोगों को आरोपी नहीं बनाया गया है। बैठक में शामिल हुए बस दो ही लोगों को क्यों हिरासत में लिया, बाकी लोगों को क्यों नहीं लिया गया।

पायस ने कहा चार्जशीट में बताया गया कि उमर खालिद ने 10 दिसंबर 2019 को प्रदर्शन में हिस्सा लिया था, लेकिन क्या विरोध प्रदर्शन में शामिल होना अपराध है, उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ हिंसा का कोई सबूत नहीं है, जांच जारी है। प्रश्न का उत्तर है नहीं। उन्होंने कहा कि चुप्पी साधने की साजिश का आरोप झूठा है। अभियोजन पक्ष के लिए यह काफी आसान है कि जब दो-तीन और दस लोग व्हाट्सएप (WhatsApp) पर एक ही भाषा बोलते हैं, तो आप कुछ के खिलाफ आरोप लगाएंगे, दूसरों के खिलाफ नहीं।

क्योंकि यह आपके तर्क के अनुसार है। पुलिस ने उमर खालिद (Umar Khalid) समेत अन्य आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग है। विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद (Amit Prasad) ने आरोप लगाया कि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काले धन को सफेद करने का काम किया। अमित प्रसाद ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा (North-East Delhi Violence) के दौरान 53 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में 755 ने एफआईआर दर्ज की है।

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