कोविड 19 की चपेट में आने के बाद इस कोरोना योद्धा को वित्तीय सहायता की जरूरत, दिल्ली सरकार ने दी ये दलील

कोविड 19 की चपेट में आने के बाद इस कोरोना योद्धा को वित्तीय सहायता की जरूरत, दिल्ली सरकार ने दी ये दलील
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दिल्ली सरकार एक बयान जारी करते हुए कहा कि वित्तीय सहायता के लिए प्रक्रिया जारी है। आगे उन्होंने कहा कि डॉक्टर अमित गुप्ता और उनके परिवार के साथ खड़ी है। इस मुश्किल घड़ी में हम उनके साथ हैं। परिवार के एक सदस्य ने कहा कि 39 वर्षीय डॉक्टर 22 मई से हैदराबाद में स्थित अस्पताल में ईसीएमओ सपोर्ट पर हैं।

Delhi Coronavirus कोरोना वायरस लोगों की मौत का कारण तो बन ही रहा है साथ ही साथ जिसे संक्रमण हो जाए उसे कंगाल भी कर दे रहा है और जब यही समस्या किसी कोरोना योद्धा के साथ हो जाए तो फिर सोचिए कितनी परेशानी होगी। जी हां ऐसा ही दिल्ली के अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर (Doctor) के साथ हो गया है। क्योंकि वह कोरोना से संक्रमित हो गए। जिसके कारण वे काफी बीमार है। इस बारे में डाॅक्टर के परिजनों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन (Satyendra Jain) के आश्वासन के बावजूद उन्हें अब तक कोई वित्तीय मदद (Financial Assistance) नहीं मिली है। वही दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वित्तीय सहायता के लिए प्रक्रिया जारी है। आगे उन्होंने कहा कि हम डॉक्टर अमित गुप्ता और उनके परिवार के साथ खड़े हैं। परिवार के एक सदस्य ने कहा कि 39 वर्षीय डॉक्टर 22 मई से हैदराबाद में स्थित अस्पताल में ईसीएमओ सपोर्ट पर हैं। उनके इलाज में एक करोड़ रुपये से ज्यादा लग चुके है। डॉक्टर के परिवार में पत्नी, छह साल का बेटा, माता-पिता और एक बहन है।

ईसीएमओ प्रक्रिया का एक दिन का खर्च लगभग दो लाख रुपये

आपको बता दें कि ईसीएमओ प्रक्रिया का एक दिन का खर्च लगभग दो लाख रुपये है। ईसीएमओ एक ऐसी मशीन है जो हृदय और फेफड़ों की तरह काम करती है। यह फेफड़ों और हृदय को आराम देने के लिए बाहर से रक्त और ऑक्सीजन का संचार करती है। परिवार के एक सदस्य ने कहा कि हमने लगभग एक महीने पहले केजरीवाल सरकार को कुल 84 लाख रुपये का बिल दिया था। इसमें अब तक कोई मदद नहीं मिली है। समय से जूझते हुए परिवार ने चंदा इकट्ठा करना शुरू किया और 26 लाख रुपये जमा किए।

परिवार वालों ने लिया एक करोड़ का दर्ज

परिवार के सदस्य ने कहा कि हम मित्रों और संबंधियों से एक करोड़ रुपये का कर्ज ले चुके हैं। गुप्ता और उनकी पत्नी के कार्य अनुबंध का नवनीकरण नहीं किया गया है। परिवार का कहना है कि हमारे पास लड़ते रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हम अब फेफड़े के प्रतिरोपण के लिए तत्काल एक डोनर की तलाश कर रहे हैं। गुप्ता ने एक साल से अधिक समय तक सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल के कोविड वार्ड में काम किया। उन्हें पहली बार 19 अप्रैल को कोविड के लक्षण दिखे और दो दिन बाद जांच कराई तो उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई।

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