दिल्ली में इस योजना के तहत मंदिरों में चढ़ाए जाने फूलों से बनाए जाएंगे गुलाल और धूपबत्ती

पूर्वी दिल्ली (East Delhi) के बड़े मंदिरों (Temple) में एक में हजारों टन फूल चढ़ाये जाते है। जो कि बाद में बर्बाद हो जाते है या फेंक दिए जाते है। इस समस्या का हल इंजीनियरों ने निकाल लिया है। दिल्ली नगर निगम (MCD) ने हर वार्ड में बड़े मंदिरों से निकलने वाले फूलों से गुलाल और धूपबत्ती-अगरबत्ती (Gulal And Incense Sticks) से खाद बनाने की योजना पर काम शुरू किया है। इंजीनियरों ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट के पहले चरण में नौ महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। जो कि 100 किलो वेस्ट फूलों से 50 किलो गुलाल तैयार कर पाएगी।
इस पायलट परियोजना को 'सु-धरा' नाम दिया गया है। इस योजना के लिए पहले चार बड़े मंदिर को चुना गया है। जैसे शाहदरा कबूल नगर का साईं मंदिर, ज्योति नगर का मंदिर, दुर्गापुरी का दुर्गा मंदिर और वेलकम का राममंदिर शामिल हैं। आपको बता दें कि गुलाल बनाने के लिए पहले गेंदे और गुलाब के फूलों को सात से आठ दिन सुखाया जाएगा। उसके बाद सूखे फूलों को मिक्सी में पीस कर अरारोट मिलाकर गुलाल तैयार किया जाएगा। खुशबू के लिए केवड़ा भी डाला जाएगा।
अभियंता का कहना है कि तैयार गुलाल को निगम बाजार में भी बेचेने की योजना बना रहा है। जानकारी के मुताबिक, पूर्वी दिल्ली के साईं मंदिर में प्रतिदिन कम से कम एक हजार किलो फूल श्रद्धालु चढ़ाते हैं। इसके अलावा अन्य मंदिरों में प्रतिदिन करीब 200 किलो फूल मालाएं चढ़ाई जाती हैं। अगले दिन सुबह तक फूल नष्ट हो जाते हैं और मंदिर की सफाई के दौरान उन्हें बाहर डालना पड़ता है। इसको लेकर इंजीनियरिंग विभाग के मुख्य अभियंता खंडेलवाल ने कहा है कि अब नष्ट फूलों से गुलाल तथा धूप-अगरबत्ती से खाद का निर्माण होगा। पहले चरण में निगम के दो वार्ड के मंदिर शामिल किए गए हैं। उसके बाद पूर्वी निगम के सभी 64 वार्डों में योजना को लागू किया जाएगा।
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