Deputy CM मनीष सिसोदिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री को दिल्ली आने का दिया न्यौता, कहा- यहां स्कूलों में नहीं मिलती है ये चीजें

Deputy CM मनीष सिसोदिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री को दिल्ली आने का दिया न्यौता, कहा- यहां स्कूलों में नहीं मिलती है ये चीजें
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भावनगर (Bhavnagar) में सरकारी प्राथमिक स्कूलों (Government School) का दौरा करने के दो दिन बाद, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने बुधवार को गुजरात के मुख्यमंत्री (Chief Minister) भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) को पत्र लिखकर उन्हें दिल्ली के सरकारी स्कूलों का दौरा करने का निमंत्रण दिया है।

भावनगर (Bhavnagar) में सरकारी प्राथमिक स्कूलों (Government School) का दौरा करने के दो दिन बाद, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने बुधवार को गुजरात के मुख्यमंत्री (Chief Minister) भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) को पत्र लिखकर उन्हें दिल्ली के सरकारी स्कूलों का दौरा करने का निमंत्रण दिया है।

सिसोदिया ने कहा कि दो दिन पहले मैं गुजरात गया था, मैंने गुजरात के शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र (Assembly Constituency) के भावना नगर में स्कूल देखे, मैं वहां दो स्कूलों में गया, वे बहुत खराब थे, ऐसा लग रहा रहा था कि किसी कबाड़खाने को खोल कर बच्चों को पढ़ने के लिए बिठा दिया हो, चारों ओर मकड़ी के जाले थे, गंदगी थी, शौचालय खराब था, पीने का पानी नहीं था, बैठने की जगह नहीं थी।

सिसोदिया (Manish Sisodia) ने आगे कहा कि, मुझे इस बात का दुख है कि गुजरात में आजादी के 75वें साल में जहां भारतीय जनता पार्टी (bjp) 27 साल से राज कर रही है, वहां ऐसे स्कूल देखने को मिल रहे हैं। मैं यह नहीं कह रहा गुजरात के अंदर सभी स्कूल खरब होंगे, कुछ अच्छे स्कूल भी बनवाएं होंगे, लेकिन 27 साल के शासन के बाद अगर एक भी स्कूल ऐसा मिला तो यह देश के लिए अच्छा नहीं है, जब हम वहां गए तो अलग-अलग जगहों से स्कूलों कि फोटो आने लगी कि हमारे स्कूलों को भी देखें, सभी जगह यही हाल है। शिक्षा के नाम पर बस खानापूर्ति की जा रही है।

सिसोदिया ने आगे कहा मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री (Chief Minister) को एक चिठ्ठी लिखी है, कि हम 5/7 वर्षों से सरकार में हैं, हमने अत्यधिक समर्पण के साथ गुणवत्तापूर्ण स्कूलों का निर्माण सुनिश्चित किया है, जिसमें सारी सुविधाएं हैं, आज हमारी दिल्ली के किसी भी स्कूल में मकड़ी का जाला नहीं है, शौचालय और पीने के पानी की कोई कमी नहीं है, बैठने के लिए डेस्क हैं, लेकिन गुजरात (gujrat) में चारों तरफ टूटे हुए स्कूल हैं, इसलिए मैंने माननीय मुख्यमंत्री से कहा कि हमें एक-दूसरे से सीखना चाहिए, आप अपने शिक्षा मंत्री के साथ दिल्ली आएं और देखें कि 7 साल में दिल्ली में एक भी खराब स्कूल नहीं बचा।

अगर सच में गुजरात के स्कूलों में आपकी दिलचस्पी नहीं है और कुछ स्कूलों को चमकाकर बाकियों को ऐसे ही छोड़ देंगे तो गुजरात की जनता अब ऐसी सरकार चुनने को तैयार नहीं है, जनता ने मन बना लिया है, उनके पास चुनने का विकल्प है एक सरकार जो 5 साल में पूरे गुजरात में स्कूलों को ठीक करेगी।

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