Farmers Protest: किसान आंदोलन करीब तीन महीनों से जारी, राकेश टिकैत बोले- 70 सालों से घाटे की खेती कर रहा किसान

Farmers Protest नये कृषि कानूनों (Farmlaws) को लेकर केंद्र के खिलाफ किसानों का आंदोलन करीब तीन महीनें से चल रहा है। वहीं दिल्ली के बॉर्डरों (Delhi Border) पर किसान अभी भी डटे हुये है। लेकिन केंद्र अभी तक किसानों की बात नहीं सुन पाई है। केंद्र और किसान दोनों अपनी बातों पर अड़े हुये है। कोई नतीजा निकलते नहीं दिख रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर अधिक सुरक्षाबलों की तैनाती (Delhi police) की गई। वहीं रेल रोको आंदोलन (Rail Roko Movement) का देशभर में मिला जुला असर देखने के बाद आज भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि किसान 70 साल से घाटे की खेती कर रहा है। किसान को एक फसल की कुर्बानी देनी पड़ेगी और इसके लिए किसान तैयार है। अगर फसल ज़्यादा मजदूर लगाकर काटनी पड़ेगी तो भी काटेगा, फसल की वजह से आंदोलन कमजोर नहीं होगा।
इससे पहले, राकेश टिकैत ने कहा था कि ईंधन और उर्वरकों के दाम बढ़ गये हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में गन्ना खरीद की दर पिछले चार सालों से स्थिर बनी हुई है। उन्होंने दावा किया कि किसानों के गन्ने का 12000 करोड़ रुपये राज्य के पास बकाया है। वर्तमान आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के समर्थन में भी है जिन्हें गन्ना उपज की उचित दर नहीं मिल रही है। वह केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर से दिल्ली-उत्तरप्रदेश बार्डर पर किसानों के प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं।
किसान 70 साल से घाटे की खेती कर रहा है। किसान को एक फसल की कुर्बानी देनी पड़ेगी और इसके लिए किसान तैयार है। अगर फसल ज़्यादा मजदूर लगाकर काटनी पड़ेगी तो भी काटेगा, फसल की वजह से आंदोलन कमजोर नहीं होगा: राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता #FarmersProtest pic.twitter.com/jbruzBv44j
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 19, 2021
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य स्थानों के हजारों किसान नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं - गाजीपुर बार्डर, सिंघू बार्डर और टिकरी बार्डर पर डेरा डाले हुए हैं। उनकी मांग है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देते हुए नया कानून बनाये। केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने बृहस्पतिवार को चार घंटे के अपने राष्ट्रव्यापी रेल रोको आह्वान को शांतिपूर्ण और सफल बताया।
नए कृषि कानूनों के विरोध में विभिन्न किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के परचम तले आंदोलन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि केंद्र को कृषि कानूनों को वापस लेना होगा क्योंकि देश भर में किसानों का गुस्सा बढ़ रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में दावा किया कि बृहस्पतिवार को देश भर में सैकड़ों स्थानों पर दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक ट्रेनों को रोका गया।
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