Farmers Protest: जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' में कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से की अपील

Farmers Protest: जंतर-मंतर पर किसान संसद में कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से की अपील
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Farmers Protest: संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि किसान संसद के छठे दिन किसानों ने कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून को निरस्त करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। कृषि कानूनों के खिलाफ 40 से ज्यादा यूनियन एसकेएम के नेतृत्व में पिछले आठ महीने से आंदोलन कर रही हैं। यह कानून असंवैधानिक और कॉरपोरेट समर्थक है।

Farmers Protest कृषि कानूनों (Farm laws) को लेकर किसानों का प्रदर्शन जंतर-मंतर (Jantar Mantar) पर जारी है। यहां प्रदर्शनकारियों ने 'किसान संसद' (Kisan Sansad) में काले कानूनों में से एक पर चर्चा की। जिसके बाद उसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने वाली प्रस्ताव को पारित किया गया। आपको बता दें कि पिछले 8 महीने से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर केंद्र (Central Government) के खिलाफ आंदोलन कर रहे है। केंद्र भी बात करने को तैयार है पर कानूनों को रद्द करने की पक्ष में नहीं है। वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि अब तक काले कानूनों वापस नहीं हो जाते तब तक घर नहीं जाएंगे। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि किसान संसद के छठे दिन किसानों ने कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून को निरस्त करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। कृषि कानूनों के खिलाफ 40 से ज्यादा यूनियन एसकेएम के नेतृत्व में पिछले आठ महीने से आंदोलन कर रही हैं। यह कानून असंवैधानिक और कॉरपोरेट समर्थक है।

'ये कानून किसानों को कोई सुरक्षात्मक प्रावधान प्रदान नहीं करता'

'किसान संसद' ने कृषि कानूनों को किसान विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक बताते हुए खारिज कर दिया। संसद के दौरान किसानों ने बताया कि कैसे कानून, विभिन्न धाराओं के तहत कॉरपोरेट को कानूनों के नियामक दायरे से छूट देता है, जबकि यह अनुबंध खेती में करने वाले किसानों को कोई सुरक्षात्मक प्रावधान प्रदान नहीं करता है। संसद के मॉनसून सत्र के समानांतर 'किसान संसद' का आयोजन किया जा रहा है। किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।

किसानों ने कहा- संसद की सर्वोच्चता बरकरार रहे

किसान संसद में हिस्सा लेने के लिए जंतर मंतर पर हर दिन 200 किसान एकत्र होते हैं। एसकेएम ने कहा 'किसान संसद' ने भी संकल्प लिया और भारत के राष्ट्रपति से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि संसद की सर्वोच्चता बरकरार रहे। एसकेएम ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में लोगों के दुख- दर्द तथा जीवन और मृत्यु के मुद्दों समेत गंभीर मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गयी। बयान में कहा गया कि मोदी सरकार अपने कार्यकाल के दौरान नियमों और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार संसद की कार्यवाही का संचालन करने में बुरी तरह विफल रही है।

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