Farmers Protest: किसान आंदोलन का मुद्दा पहुंचा UNHRC, पीएम मोदी को भेजा गया ज्ञापन

Farmers Protest नए कृषि कानूनों (Farm laws) को किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। दिल्ली के बॉर्डरों (Delhi Border) पर किसानों का आंदोलन करीब 4 महीने से चल रहा है। लेकिन केंद्र अभी तक उनकी मांगे नहीं मानी है। जिसके कारण किसानों ने दिल्ली के सीमाओं पर पक्के मकान बनाने शुरू कर दिए है। क्योंकि किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि आंदोलन लंबा चलेगा। किसानों की रहने और हर मौसम से लड़ने के लिए पूरी व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि जब तक काले कानून वापिस नहीं होते कोई भी किसान वापिस नहीं जाएगा।
उधर, भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा था कि 26 जनवरी को हमें मालूम पड़ा था कि जितने भी यह संगठन सिंघु बॉर्डर, गाज़ीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे थे। ये सब कांग्रेस के खरीदे हुए और कांग्रेस के भेजे हुए संगठन थे। कांग्रेस इनको फंडिंग कर रही थी।
संयुक्त किसान मोर्चे (एसकेएम) के नेता दर्शनपाल ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से कहा कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे किसानों और अन्य लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र का उल्लंघन हुआ है जिसपर भारत ने भी हस्ताक्षर कर रखे हैं।
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे एसकेएम द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के 110वें दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन सोमवार को अधिकारियों को सौंपा गया, जिसे 'निजीकरण-विरोधी व्यावसायीकरण-विरोधी दिवस' के रूप में मनाया गया। पाल ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में वीडियो संदेश भेजा।
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