Farmers Protest: जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' जारी, आंदोलन में हिस्सा लेने आए इन राज्यों के किसान, SKM ने चेताया

Farmers Protest: जंतर-मंतर पर किसान संसद जारी, आंदोलन में हिस्सा लेने आए इन राज्यों के किसान, SKM ने चेताया
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Farmers Protest: एसकेएम ने विधेयक को किसान विरोधी और कॉर्पोरेट हितैषी बताया। किसान पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। 'किसान संसद' के लिए हर दिन 200 किसान जंतर मंतर पर इकट्ठा होते हैं।

Farmers Protest दिल्ली स्थित जंतर-मंतर (Jantar Mantar) पर 'किसान संसद' (Kisan Sansad) 9 दिनों से जारी है। यहां कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर हर दिन 200 नए प्रदर्शनकारी किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे है। इस बीच किसान आंदोलन में कई राज्यों के किसान जुड़ने लगे है। इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि असम और ओडिशा (Assam and Odisha) के किसान जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' में शामिल हुए। एसकेएम ने कहा कि आंध्र प्रदेश किसान एसोसिएशन समन्वय समिति और तमिलनाडु से ऑल इंडिया किसान सभा के सदस्यों के भी आगामी दिनों में उनके साथ जुड़ने की उम्मीद है। जिस समय देश की संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है, उस समय आंदोलनरत संगठनों द्वारा 'किसान संसद' का आयोजन किया जा रहा है। आपको बता दें कि काले कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 8 महीने से चल रहा है और इस आंदोलन में हजारों किसान जुड़ने लगे है।

देशभर के किसानों का मिल रहा समर्थन

एसकेएम ने एक बयान में कहा कि किसान संसद में शामिल होने के लिए देशभर से किसान आ रहे हैं। ओडिशा के प्रतिनिधिमंडलों की तरह असम की कृषक मुक्ति संघर्ष समिति के किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ। संसद के नौवें दिन, किसानों ने पिछले साल पेश किए गए बिजली संशोधन विधेयक पर अपना विचार-विमर्श जारी रखा। एसकेएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने विरोध कर रहे किसानों को औपचारिक वार्ता के दौरान आश्वासन दिया था कि वह बिजली संशोधन विधेयक को वापस ले लेगी। इसके बावजूद विधेयक को संसद के मॉनसून सत्र में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

किसानों ने केंद्र से की अपील

एसकेएम ने कहा कि किसान संसद ने केंद्र सरकार द्वारा किसानों को बिजली संशोधन विधेयक पेश नहीं करने के अपने स्पष्ट वादे से पलटने पर निराशा व्यक्त की और मांग की कि इसे तुरंत वापस लिया जाए। एसकेएम ने विधेयक को किसान विरोधी और कॉर्पोरेट हितैषी बताया। किसान पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। 'किसान संसद' के लिए हर दिन 200 किसान जंतर मंतर पर इकट्ठा होते हैं।

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