Farmers Protest: संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कृषि कानूनों पर फिर से वार्ता का किया अनुरोध

Farmers Protest: संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कृषि कानूनों पर फिर से वार्ता का किया अनुरोध
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Farmers Protest: एसकेएम ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने को कहा है। इस पत्र में किसान आंदोलन के कई मांगों और केंद्र के रवैये के बारे में बात कही है। उसने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान नहीं चाहते हैं कि कोई भी महामारी की चपेट में आए।

Farmers Protest नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर केंद्र (Central Government) के खिलाफ किसानों का आंदोलन छह महीने से चल रहा है। दिल्ली के बॉर्डरों (Delhi Border) पर काले कानून को रद्द करने की मांग को लेकर डटे है। लेकिन केंद्र ने अभी तक उनकी मांगे नहीं मानी है। इस बीच, कृषि कानूनों के खिलाफ में किसानों का प्रदर्शन जारी है और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने बीते दिन प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) को पत्र लिखकर तीन कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरू करने का अनुरोध किया है। आपको बता दें कि किसानों और केंद्र के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक इस समस्या का हल सामने नहीं आया है। दोनों के बीच गतिरोध जारी है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उसने सरकार से प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ फिर से बातचीत शुरू करने को कहा है। एक सरकारी समिति ने 22 जनवरी को किसान नेताओं से मुलाकात की थी। 26 जनवरी के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। गणतंत्र दिवस के दिन ही राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी। किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले में हिंसा के करीब चार महीने बाद दिल्ली पुलिस ने अभिनेता दीप सिद्धू और 15 अन्य के खिलाफ इस मामले में आरोप पत्र दायर किया है। मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट साहिल मोंगा के समक्ष 17 मई को 3,224 पृष्ठीय अंतिम रिपोर्ट दाखिल की और सिद्धू समेत 16 आरोपियों के खिलाफ अभियोग का अनुरोध किया।

एसकेएम ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने को कहा है। इस पत्र में किसान आंदोलन के कई मांगों और केंद्र के रवैये के बारे में बात कही है। उसने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान नहीं चाहते हैं कि कोई भी महामारी की चपेट में आए। साथ में वे संघर्ष को भी नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि यह जीवन और मृत्यु का मामला है और आने वाली पीढ़ियों का भी। इसलिए आप हमारी मांगे जल्द से जल्द पूरी करें।

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