Farmers Protest Live Updates: भीड़ बढ़ने से किले में तब्दील हुआ गाजीपुर बॉर्डर, 12 लेयर की गई बैरिकेडिंग, किसानों ने की ये मांग

Farmers Protest Live Update नये कृषि कानूनों को लेकर केंद्र के खिलाफ किसानों का आंदोलन 67 दिनों से चल रहा है। दिल्ली के बॉर्डरों पर कड़ाके की दिन में भी जमे हुये है। कृषि कानूनों को लेकर केंद्र और किसान दोनों अपनी मांगों पर अड़े है। दोनों पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे है। इसी बीच, दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड हिंसा के बाद पंचायतों का दौर शुरू हो गया है। इन पंचायतों का मुख्य उद्देश्य आंदोलन को धार देना है। किसान पूरी मजबूती से एक बार फिर दिल्ली पहुंच रहे हैं। वहीं दिल्ली पुलिस ने भी किसानों को प्रदेश में घुसने से रोकने के लिए तैयारियां सख्त कर दी है। गाजीपुर बॉर्डर को किले में तब्दील कर दिया गया है।
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात है। #FarmersProtest pic.twitter.com/Mn6cCS475v
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 31, 2021
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात है। किसानों के बढ़ते संख्या बल को देखते हुए गाजीपुर बॉर्डर पर रातोरात 12 लेयर की बैरिकेडिंग की गई है। इसके साथ ही नुकीले तार भी लगाए गए हैं। एनएच 24 को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। नोएडा सेक्टर 62 से अक्षरधाम जाने वाले रास्ते को भी पूरी तरह बंद किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किसानों और मेरे बीच बस एक कॉल की दूरी वाले बयान पर भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो कहा है, उसका स्वागत करते हैं, हमारी तो बस यही मांग है कि तीनों काले कानून वापस लिए जाएं और एमएसपी पर कानून बनाया जाए। नरेश टिकैत ने हरियाणा में इंटरनेट की पाबंदी की आलोचना की है।
बीते दिन भाकियू के नेता राकेश टिकैत ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह खुद किसानों को बताये कि वह कृषि कानूनों को वापस क्यों नहीं लेना चाहती और हम वादा करते हैं कि सरकार का सिर दुनिया के सामने झुकने नहीं देंगे। ट्रैक्टर परेड में हिंसा के कारण किसान आंदोलन के कमजोर पड़ने के बाद एक बार फिर जोर पकड़ने के बीच टिकैत ने सरकार से कहा कि सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह नये कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करने पर अड़ी हुई है? उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को अपनी बात बता सकती है। हम (किसान) ऐसे लोग हैं जो पंचायती राज में विश्वास करते हैं। हम कभी भी दुनिया के सामने सरकार का सिर शर्म से नहीं झुकने देंगे।
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