Farmers Protest: राघव चड्ढा ने कहा- मोदी सरकार अहम छोड़कर किसानों की बातें सुने

Farmers Protest: राघव चड्ढा ने कहा- मोदी सरकार अहम छोड़कर किसानों की बातें सुने
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Farmers Protest: आप नेता राघव चड्ढा ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के साथ संवाद को अहम की लड़ाई बना लिया है। सरकार को उनकी बात स्वीकार करनी चाहिए। आज दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है। बहुत दुखद दृश्य है। मोदी सरकार को इसी समय किसानों की सारी मांगों को मान लेना चाहिए।

Farmers Protest कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान अभी भी डटे हुए हैं। किसानों को यहां विरोध प्रदर्शन करते हुए आज 27 दिन हो गए हैं। आप नेता राघव चड्ढा ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के साथ संवाद को अहम की लड़ाई बना लिया है। सरकार को उनकी बात स्वीकार करनी चाहिए। आज दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है। बहुत दुखद दृश्य है। मोदी सरकार को इसी समय किसानों की सारी मांगों को मान लेना चाहिए।

गाज़ीपुर बॉर्डर से भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि हमें कृषि मंत्री से अभी तक बैठक का कोई निमंत्रण नहीं मिला है। किसानों ने निर्णय लिया है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती तब तक वे वापस नहीं जाएंगे। सभी मुद्दों को हल करने में एक महीने से अधिक समय लगेगा। किसान नेताओं ने सोमवार को दावा किया कि वार्ता के लिए अगली तारीख के संबंध में केंद्र के पत्र में कुछ भी नया नहीं है।

केंद्र के नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हरियाणा और उत्तरप्रदेश से लगी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के गुरमीत सिंह ने कहा कि किसान नेताओं के अगले कदम के लिए मंगलवार को बैठक करने की संभावना है। किसान संगठन बिहार जैसे दूसरे राज्यों के किसानों से भी समर्थन लेने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्ष की ओर से भी दबाव बढ़ गया है, वहीं शिरोमणि अकाली दल ने तीनों नए कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का तुरंत सत्र बुलाने की मांग की।

केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार ने कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने के लिए बुधवार को विधानसभा विशेष सत्र आयोजित करने का फैसला किया है। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो।

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