Farmers Protest: आधुनिक उपचार के बजाय जड़ी-बूटियों से इलाज करा रहे बीमार किसान, दिल्ली के बॉर्डरों पर है ये इंतजाम

Farmers Protest: आधुनिक उपचार के बजाय जड़ी-बूटियों से इलाज करा रहे बीमार किसान, दिल्ली के बॉर्डरों पर है ये इंतजाम
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Farmers Protest: दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान सिरदर्द, सर्दी, खांसी और जोड़ों में दर्द होने पर विभिन्न शिविरों में मुफ्त मिल रहीं गोलियों के बजाय डॉक्टर मोहम्मद सलीमुद्दीन के हाथ से बनाए चूरन का सेवन करने को तरजीह दे रहे हैं।

Farmers Protest केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान एक महीने से अधिक समय पहले सिंघू बॉर्डर पहुंचे थे। प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठनों ने शनिवार को केंद्र सरकार के साथ बातचीत फिर शुरू करने का फैसला किया था और अगले चरण की बातचीत के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया है।

उधर, दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान सिरदर्द, सर्दी, खांसी और जोड़ों में दर्द होने पर विभिन्न शिविरों में मुफ्त मिल रहीं गोलियों के बजाय डॉक्टर मोहम्मद सलीमुद्दीन के हाथ से बनाए चूरन का सेवन करने को तरजीह दे रहे हैं। सलीमुद्दीन का कहना है कि यह चूरन जड़ी-बूटियों का बना है। भारतीय किसान समिति द्वारा लगाए गए शिविर में डॉक्टर सलीमुद्दीन की मेज पर डिब्बों का अंबार लगा हुआ है जिनमें चूरन, लेबल लगी हुई हल्दी, अश्वगंधा, काली मिर्च और मेथी के बीज समेत कई चीजें रखी हुई हैं।

डॉक्टर सलीमुद्दीन ने कहा कि जोड़ों के दर्द के लिये वह हल्दी और अश्वगंधा के मिश्रण का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं जबकि काली मिर्च ठंड से बचाती है। लंबे समय तक इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करने से कोई भी बीमारी दूर हो जाती है। डॉक्टर सलीमुद्दीन ने बताया कि वह पिछले 20 साल के हैदराबाद में प्राकृतिक चिकित्सा की प्रैक्टिस कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हम रोजाना 100-150 रोगियों को देखते हैं, जिनमें से अधिकतर सर्दी, सिरदर्द, बुखार और जोड़ों में दर्द की शिकायत लेकर आते हैं। हमारे पास आने वाले ज्यादातर बुजुर्ग किसान हैं, जो ठंड के चलते घुटनों और पीठदर्द से परेशान हैं। डॉक्टर से जब यह पूछा गया कि उन्हें क्यों लगता है कि किसान अन्य चिकित्सा शिविरों में दिये जा रहे आधुनिक उपचार के बजाय आपके पास आएं, तो एक मरीज ने तुरंत बोला कि हम किसान हैं और किसी और के बजाय हमेशा 'देसी' इलाज पर भरोसा करते हैं।

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