Farmers Protest: गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के मनोरंजन के लिए दंगल का आयोजन, जुटी भारी भीड़

Farmers Protest: गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के मनोरंजन के लिए दंगल का आयोजन, जुटी भारी भीड़
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Farmers Protest: गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों का दिल लगाने और मनोरंजन करने के लिए इसका आयोजन किया गया है। प्रदर्शनकारी इस दंगल को बड़े मचे से देख रहे थे। इस दंगल में कुश्ती के सारे नियम अपनाएं थे वहीं दंगल करवाने के लिए रेफरी को भी बुलाया गया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के चेहरे पर हसी देखने को मिली।

farmers protest नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसान 46 दिनों से अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चला रहे हैं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के मनोरंजन के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम किये जा रहे है। जैसे कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर दंगल का आयोजन किया।

इस दंगल को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। वहीं दंगल में जीतने वालों को संभावना है कि कोई इनाम भी दिया जाएगा। साथ ही साथ गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों का दिल लगाने और मनोरंजन करने के लिए इसका आयोजन किया गया है। प्रदर्शनकारी इस दंगल को बड़े मजे से देख रहे थे। इस दंगल में कुश्ती के सारे नियम अपनाएं थे वहीं दंगल करवाने के लिए रेफरी को भी बुलाया गया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के चेहरे पर हसी देखने को मिली।

आपको बता दें कि दिल्ली के बॉर्डरों पर प्रदर्शनकारियों के मनोरंजन के लिए कई तरह के उपाय किये गये है। जैसे मॉल खोलना, जिम की व्यवस्था, बड़ी-बड़ी टीवी स्क्रिन लगाना और कई तहर के गाने बजाने का कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है। उधर, दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों पर वर्तमान में गतिहीन जीवन शैली और मनोवैज्ञानिक अवसाद से उन शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ रहा है। सिंघू बॉर्डर पर चिकित्सा शिविर चलाने वाले गैर सरकारी संगठनों के अनुसार ये किसान काफी साहसी हैं, लेकिन कुछ प्रतिकूल मौसम की स्थितियों का सामना करने के चलते तनाव में हैं।

हालांकि, इनके मानसिक बोझ को कम करने के लिए अमेरिकी एनजीओ यूनाइटेड सिख ने सिंघू बॉर्डर स्थित प्रदर्शन स्थल के हरियाणा की ओर स्थापित अपने शिविर में किसानों के लिए एक काउंसलिंग सत्र शुरू किया है। शिविर में एक मनोवैज्ञानिक एवं स्वयंसेवक सान्या कटारिया ने कहा कि कई किसानों की इस आंदोलन के दौरान मृत्यु हो गई है और कुछ ने अपनी जान दे दी है। हो सकता है कि उनमें मजबूत दृढ़ संकल्प हो लेकिन अत्यधिक ठंड, कठित परिस्थितियों के साथ ही खेतों में सक्रिय नहीं रहने के कारण जीवन शैली में बदलाव के चलते उनके ​​अवसाद से ग्रस्त होने की आशंका है।

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