Farmers Protest Violence: दीप सिद्धू, इकबाल सिंह के बाद लक्खा सिधाना की तलाश, Delhi Police ने की इनाम की घोषणा

Farmers Protest Violence: दीप सिद्धू, इकबाल सिंह के बाद लक्खा सिधाना की तलाश, Delhi Police ने की इनाम की घोषणा
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Farmers Protest Violence: दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल की टीमें पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में तलाशी अभियान चला रही हैं। लखबीर सिंह सिधाना उर्फ लक्खा सिधाना पर भी दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप है। तबसे वे फरार बताए जा रहे है।

Farmers Protest Violence 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान लाल किले (Red Fort) में हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जांच तेज कर दी है। दीप सिद्धू, (Deep Sidhu) इकबाल सिंह (Iqbal Singh) के बाद अब लखबीर सिंह उर्फ लक्खा सिधाना (Lakha Sidhana) को तलाशने में जुटी है। इसलिए लक्खा सिधाना पर पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम की घोषण की है।

लक्खा सिधाना 26 जनवरी के हिंसा के बाद से गायब बताया जा रहा है। पुलिस उसे ढूढने की पूरी कोशिश कर रही है। इसलिए उसकी तलाश में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल की टीमें पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में तलाशी अभियान चला रही हैं। लखबीर सिंह सिधाना उर्फ लक्खा सिधाना पर भी दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप है। तबसे वे फरार बताए जा रहे है।

बड़े नेताओं के करीबी बताए जा रहे है लक्खा सिधाना

2012 में लक्खा ने पीपल्स पार्टी ऑफ पंजाब के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। सिधाना के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह कई बड़े नेताओं का करीबी भी रहा है। सिधाना ने शुरू से किसान आंदोलन का समर्थन किया है और वे अक्सर इसके मैसेज भी सोशल मीडिया पर डालता था। किसान नेताओं के निशाने पर सिद्धू के अलावा सिधाना भी है। लक्खा सिधाना वर्तमान में किसी सामाजिक कार्य से जुड़कर खुद को सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पेश करता हैं। लेकिन कई मामलों में उस पर केस भी दर्ज थे।

किसान संगठनों ने 26 जनवरी हिंसा की उच्च स्तरीय जांच की मांग

कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा और किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मामलों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए। सिंघू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने किसानों से कहा कि पुलिस का नोटिस मिलने पर वे सीधे पुलिस के सामने उपस्थित न हों और इसकी बजाय किसान संगठनों द्वारा बनाए गए विधिक प्रकोष्ठ की सहायता लें।

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