यमुना एक्सप्रेस-वे पर एक अप्रैल से गाड़ी चलाना होगा महंगा, जानें क्या है वजह

दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में फास्टैग की शुरुआत हो चुकी है। वहीं फास्टैग की शुरुआत होने की वजह से समय और ईंधन की बहुत बचत होने लगी है। भारत सरकार की ये योजना सफल रही है। इसलिए इस योजना को अन्य नेशनल हाइवे पर भी लागू किया जा रहा है। इसी बीच, नोएडा के लोगों के लिए अच्छी खबर है। क्योकि यमुना एक्सप्रेस-वे पर एक अप्रैल से फास्टैग की सुविधा शुरू हो जाएगी। यमुना एक्सप्रेसवे, जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड और आईडीबीआई बैंक के बीच सोमवार को इसको लेकर एक करार हुआ।
प्राधिकरण की सख्ती के बाद तैयार हुई कंपनी
यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरुण वीर सिंह ने बताया कि निजी राजमार्ग होने के कारण जेपी कंपनी ने फास्टैग (एक इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली) शुरू करने से मना कर दिया था। प्राधिकरण की सख्ती के बाद कंपनी तैयार हुई। इसे 15 फरवरी से शुरू होना था, लेकिन सभी तैयारियां पूरी ना होने की वजह से यह चालू नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि सोमवार को यमुना विकास प्राधिकरण, आईडीबीआई बैंक तथा जेपी इंफ्राटेक के प्रतिनिधियों के बीच एक करार हुआ। अब एक अप्रैल से यहां फास्टैग की सुविधा शुरू हो जाएगी।
क्या है फास्टैग, कैसे करता है काम?
फास्टैग इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन का इस्तेमाल होता है। फास्टटैग रिचार्ज होने वाला प्रीपेड टैग है जो आपको अपनी गाड़ी के विंडशील्ड पर अंदर की तरफ से लगाना पड़ता है। जैसे ही आपकी गाड़ी टोल प्लाजा के पास आती है, तो टोल प्लाजा पर लगा सेंसर आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर लगे फास्टैग को ट्रैक कर लेता है। इसके बाद आपके फास्टटैग अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क कट जाता है। इस तरह आप टोल प्लाजा पर रुके बगैर शुल्क का भुगतान कर पाते हैं।
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