गांजा तस्करी रैकेट का पर्दाफाश, तीन तस्करों समेत चार गिरफ्तार, क्राइम ब्रांच ने बरामद किया 95 किलो गांजा

गांजा तस्करी रैकेट का पर्दाफाश, तीन तस्करों समेत चार गिरफ्तार, क्राइम ब्रांच ने बरामद किया 95 किलो गांजा
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क्राइम ब्रांच ईस्टर्न रेंज 2 टीम ने नशे के कारोबार में लिप्त एक महिला सहित चार इंटरस्टेट ड्रग सप्लायरों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से कुल 95 किलो गांजा बरामद किया गया है।

नई दिल्ली। क्राइम ब्रांच ईस्टर्न रेंज 2 टीम ने नशे के कारोबार में लिप्त एक महिला सहित चार इंटरस्टेट ड्रग सप्लायरों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से कुल 95 किलो गांजा बरामद किया गया है। इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों के नाम नूर मोहम्मद, उज्ज्वल कुमार, लक्ष्मी सिंह और आजाद उर्फ राकल है। ये बिहार के सारण, आसाम के करबि आंगलोंग और दिल्ली के शहादरा जिले के रहने वाले हैं। पुलिस ने इन्हें उस वक़्त दबोचा जब ये विशाखापट्टनम, आंध्रप्रदेश से गांजे की खेप लेकर डिलीवरी करने दिल्ली पहुंचे थे।

स्पेशल सीपी रविन्द्र सिंह यादव के अनुसार, क्राइम ब्रांच की टीम को ड्रग सप्लायर की निगरानी औ धरपकड़ का काम सौंपा गया था। इसके लिए डीसीपी सतीश कुमार और एसीपी राज कुमार साहा की देखरेख में इंस्पेक्टर आशीष के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया था। पुलिस टीम ने नशे के सौदागरों के बारे में पता लगाया। इसके बाद पुलिस ने दिलशाद गार्डन के जे एंड के पॉकेट के पास ट्रैप लगा कर अप्सरा बॉर्डर की तरफ से सीमापुरी की तरफ आ रहे आंध्र प्रदेश के नंबर वाली इनोवा गाड़ी को रोका।

उसमें एक महिला सहित कुल तीन लोग सवार थे। पूछताछ में ड्राइवर की पहचान नूर मोहम्मद, जबकि अन्य महिला-पुरूष सवारों की लक्ष्मी सिंह और उज्ज्वल कुमार के रूप में हुई। गाड़ी की तलाशी में पांच प्लास्टिक के कट्टों में से कुल 72.2 किलो गांजा बरामद हुआ। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे विशाखापत्तनम से गांजे को खरीद कर लाये थे, जिसे आगे सीमापुरी के आजाद उर्फ राकल को डिलीवर करने वाले थे। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने आजाद को भी उसके घर से दबोच लिया और उसके पास से 22.795 ग्राम गांजा भी बरामद किया गया।

आरोपियों ने बताया कि वो बल्क में गांजे को खरीदते थे, और फिर आजाद को देते थे, जिसे आगे वो छोटे-छोटे पैकेट में भरकर बेचता था। विशाखापट्टनम से गांजे की खेप को पकड़े जाने से बचने के लिए वो महिला को ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठाते थे। जिससे पुलिस को उनके फैमिली मेंबर होने का भ्रम हो और जांच से बचा जा सकें।

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