भविष्य के भारत का रोडमैप है गति शक्ति योजना: दीपक गुप्ता

भविष्य के भारत का रोडमैप है गति शक्ति योजना: दीपक गुप्ता
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"आपदा को भी अवसर' में तब्दील करने की जो यह दूरदृष्टि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखाई है, ऐसा विजन देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहले किसी और प्रधानमंत्री के मामले में देखने को नहीं मिला है।

ऐसे समय में जब कोरोना की भीषण मानवीय आपदा से कमोबेश विश्व के सभी देशों की अर्थव्यवस्था डावाडोल स्थिति में है। अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश तक इस संकट से जूझ रहा है। उन्हें अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है। उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 साल आगे के भारत का खांका खिंचते हुए 100 लाख करोड़ रुपये की अति महत्वकांक्षी "गति शक्ति योजना' की आधारशीला रखी है। "आपदा को भी अवसर' में तब्दील करने की जो यह दूरदृष्टि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखाई है, ऐसा विजन देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहले किसी और प्रधानमंत्री के मामले में देखने को नहीं मिला है।

निश्चित ही कोरोना के बाद पूरे विश्व का आर्थिक समीकरण बदला होगा। उसमें आज की कुछ विकसित और अमीर मुल्कें अपनी स्थिति से खिसकी होगी। उनकी जगह कुछ नए विकासशील देशों ने ली होगी। यहां भारत के लिए सुअवसर है। उस स्थिति के लिए देश को तैयार करने की दिशा में यह गति शक्ति योजना मील का पत्थर साबित होने वाला है। बात केवल 100 करोड़ रुपये के निवेश तक सीमित नहीं है। यह निवेश देश में आधारभूत संरचनाआें के विकास के साथ उससे जुड़े उद्योगों के लिए नए अवसर के द्वार खोलेगा। पर्याप्त रोजगार पैदा होंगे। नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित होंगे। सुदूर गांवों तक उद्योगों की पहुंच होगी।

इस स्थिति में इस निवेश का प्रभाव तीन गुना बड़ा आंक सकते हैं। मौजूदा सरकार ने अगले चार-पांच सालों में देश की अर्थव्यवस्था को पांच अरब डालर पहुंचाने का जो शुरुआती लक्ष्य रखा गया है। उसे पार करते हुए यह 10 अरब डालर तक पहुंच सकता है। कोरोना के साथ वैश्विक स्तर पर "उद्योगों की खान' चीन से विश्व का मोहभंग हुआ है। वहां से बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना निवेश वापस निकालने की फिराक में है। इस स्थिति को प्रधानमंत्री ने पहले ही भाप लिया था तथा "मेक इन इंडिया' और "आत्मनिर्भर भारत' की तरफ रुख किया है। उसे गति शक्ति योजना साकार करेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस योजना के जरिए देश की व्यवस्था में दशकों से बैठे जड़ता को तोड़ने का काम किया है। एक आम नागरिक से प्रधानमंत्री बनने तक के सफर में मोदी ने सिस्टम की बारिकियों को नजदीक से देखा समझा है तभी इस योजना के शुभारंभ अवसर पर देशवासियों की मन:स्थिति का बेबाकी से जिक्र करते हुए कहा "पहले अधिकारी कार्य प्रगति पर है का बोर्ड लगा देते थे और काम लटका ही रह जाता था। एक तरह से यह अविश्वास का प्रतीक बन गया था।'

यह वर्ष 2014 के पहले देश में आधारभूत संरचनाओं को पूरा करने के सिस्टम की कार्यप्रणाली का स्याह पक्ष था। जिसमें दशकों तक मंत्रालयों, विभागों और सरकारों के बीच तालमेल के अभाव में सैकड़ों परियोजनाएं लटकी ही रहीं और देश के लोगों का टैक्स के रूप में जमा लाखों करोड़ रुपये इनके लेटलतीफी पर स्वाहा होता रहा है। देशवासियों ने इसे सहज स्वीकार करते हुए मान भी लिया गया था कि इस स्थिति में कभी सुधार नहीं हो सकता है, लेकिन केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद जब भारी बहुमत से देश की बागडोर नरेन्द्र मोदी ने संभाली तो उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली से साबित किया कि अगर नेतृत्व मजबूत, ईमानदार और लगन का पक्का हो तो इस जड़ता को भी तोड़ा जा सकता है।

नेतृत्व परिवर्तन के बाद की तस्वीर चमत्कारिक है। राजमार्ग, पुल, सुरंग, रेलवे, ऊर्जा यहां तक की अतंरिक्ष की वर्षों पुरानी अटकी-लटकी परियोजनाएं न सिर्फ अपने अंजाम तक पहुंच रही हैं। बल्कि जो परियोजनाएं मौजूदा सरकार या मोदी के पहले कार्यकाल में शुरू हुई थी, वह तय अवधि से पहले और तय बजट से कम में ही अपने अंजाम तक पहुंच भी रही है। धुन के पक्के नरेन्द्र मोदी ने यह करके दिखाया। सुस्त नौकरशाही और उसकी फाइलों को लटकाने की आदत में 360 डिग्री का बदलाव लाया, जिसके चलते यह असंभव सा दिखने वाला बदलाव सहज हो गया है।

प्रधानमंत्री ने अपनी कार्यप्रणाली से सुनहरे और विश्व के नेतृत्वकर्ता भारत की राह भी दिखाई है, जिसे लेकर दूर-दूर तक कोई विश्वास भी नहीं था, लेकिन अब यह संभव दिखने लगा है। विश्व लोहा मान रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि भविष्य का भारत को लेकर उनके विचार और योजनाएं स्पष्ट थी। और उसी दिशा में बिना रूके, थके आगे बढ़ते जा रहे हैं। "गति शक्ति योजना' इसी सोच का परिमार्जन है। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय मास्टर प्लान का खाका देश के सामने रखते हुए उसे समयकाल में पूरा करने का स्पष्ट विजन प्रस्तुत किया है। जिसमें आज-कल की नहीं, बल्कि 25 साल बाद तक की देश की आवश्यकताओं का आंकलन करते हुए उसे पूरा करने का रास्ता दिखाया गया है।

आज जो विकसित या विकसित होने की राह पर खड़े देश हैं। उनके पहले के दूरदृष्टा नेतृत्वकर्ताओं ने इसी तरह का रास्ता सुझाया था। गति शक्ति योजना एक ऐसा ठोस और क्रांतिकारी भरा प्रयास है जिसके माध्यम से गांव तक विकास और रोजगार का ठोस माडल तैयार किया जाएगा। पहली बार 16 मंत्रालयों का एक एक ऐसा समूह बनाया गया है जिनका सीधा वास्ता देश की आधारभूत संरचनाओं से है। इसमें रेलवे, सड़क परिवहन, पोत, आईटी, टेक्सटाइल, पेट्रोलियम, ऊर्जा व उड्डयन जैसे मंत्रालय शामिल हैं।

इसका सीधा उद्देश्य यह है कि परियोजनाओं की फाइलें मंजूरी के लिए इन मंत्रालयों में वर्षों तक धूल खाते रहने की स्थिति में न रहे, बल्कि मंत्रालय आपसी समन्वय कर उसे त्वरित रूप से निष्पादित करें। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान ने निगरानी के लिए प्लेटफार्म विकसित किया है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) को सभी परियोजनाओं की निगरानी और कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय बनाया गया है। इंफ्रा परियोजनाओं का जायजा लेने के लिए एक राष्ट्रीय योजना समूह नियमित रूप से बैठक करेगा।

किसी भी नई जरूरत को पूरा करने के लिए मास्टर प्लान में किसी बदलाव को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति मंजूरी देगी। इससे निश्चित ही देश की आधारभूत संरचनाओं को गति मिलेगी और इसका सीधा असर हर किसी की आय पर पड़ेगा विशेषकर रोजगार, शिक्षा क्षेत्र के नए अवसर खुलेंगे। सुदूर गांव के उत्पाद विश्व पटल पर छा सकेंगे। अब हम जब इस लक्ष्य के साथ कदम आगे बढ़ाए हैं तो व्यवसायिक शिक्षा और तकनीकी के क्षेत्र में भी विशेष ध्यान देना होगा। शिक्षा और रोजगार के नाम पर दक्ष लोगों के विदेश पलायन को रोकना होगा। इस योजना के साथ बड़ी संख्या में पेशेवरों और कुशल लोगों की जरूरत होगी। इसके लिए ऐसे अत्याधुनिक शिक्षण संस्थान तैयार करने होंगे जो विश्वस्तरीय मापदंडों पर खरे उतरें। शिक्षा के लिए हावर्ड जैसे विश्वविद्यालयोें का मुंह न देखना पड़े। इसी तरह आधुनिक तकनीक को भी अपनाने के लिए तत्पर रहना होगा।

लेखक परिचय: दीपक गुप्ता, बीजेपी युवा नेता एवं शिक्षाविद

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