'हैप्पीनेस उत्सव ' के समापन पर CM केजरीवाल बोले- जब हम दुनिया से जाएं तो जग...

राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों (Government Schools) में हैप्पीनेस उत्सव (Happiness Utsav) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) समापन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा बजट का 25 फीसदी हिस्सा दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 7 साल से रखा गया है।
लेकिन यह सिर्फ बजट की बात नहीं है, बल्कि शिक्षा के लिए काम किया है। मकड़ी वाले स्कूल की पहचान अब शानदार हो गई है। गरीबों के बच्चे अब NEET और JEE में जाने लगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमारा काम तभी सफल होगा जब बच्चे अच्छे इंसान बनेंगे। हमने बच्चों की उनके माता-पिता, दोस्तों के साथ बातचीत को हैप्पीनेस क्लास (Happiness Class) का आधार बनाया।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि हम सुनते हैं कि ध्यान से ऊर्जा निकलती है। हमें खुशी है कि दिल्ली के स्कूलों में 18 लाख बच्चे दिन की शुरुआत मेडिटेशन से करते हैं। आज अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और अमेरिका से भी लोग हैप्पीनेस क्लास देखने आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी भी कुछ देर हैप्पीनेस क्लास में आईं। आज दिल्ली ने यह जिम्मेदारी ली है, कल देश और दुनिया भी समाज को अच्छे इंसान देने की जिम्मेदारी लेगा।
वहीं सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि हमें हैप्पीनेस क्लास (Happiness Class) चलाए 4 साल हो गए हैं। हमारी शिक्षा क्रांति के 3 चरण हैं। शुरुआत में शिक्षा की स्थिति बहुत खराब थी, रिजल्ट नहीं आते थे. जब एक बच्चे से पूछा कि बच्चे देश का भविष्य हैं तो उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के बच्चे का आज 5 साल बाद वही बच्चा कहता है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों का भी भविष्य है।
सबसे पहले हमने स्कूल की इमारत को ठीक किया, दिल्ली सरकार (Delhi Government) के बजट का 25 फीसदी शिक्षा पर होता है, अब तक करीब 90 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सीएम ने कहा कि ऐसा होना चाहिए कि जब हम दुनिया छोड़ दें तो दुनिया रोए और हम हंसे। आज बच्चों पर बहुत दबाव है, बहुत प्रतिस्पर्धा है, खुशी और उद्यमिता पाठ्यक्रमों के कारण अकादमिक दबाव बहुत कम हो गया है। 13 साल की आठवीं में पढ़ने वाले उपेक्षा के पिता प्लंबर हैं, ऐसे बैक ग्राउंड से बच्चे हैप्पीनेस क्लास (Happiness Class) में आते हैं। आज जगह- जगह बच्चे आत्महत्या (Suicide) करते हैं, शुक्र है कि दिल्ली में ऐसा नहीं हो रहा है।
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