हाईकोर्ट ने DU से पूछा, जब कक्षाएं नहीं लगी तो छात्रों की 70% उपस्थिति की उम्मीदें कैसे

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) छात्रों के परीक्षा में शामिल होने के लिए कक्षाओं में न्यूनतम 70 प्रतिशत उपस्थिति की उम्मीद नहीं कर सकता है, अगर उसने पाठ्यक्रम के लिए निर्धारित पूरी अवधि में कक्षाओं का संचालन नहीं किया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की पीठ ने कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि छात्रों की 70 प्रतिशत न्यूनतम उपस्थिति जरूरी है, जब आपने निर्धारित अध्ययन अवधि में केवल 40 प्रतिशत में ही पढ़ाया हो।
हाईकोर्ट एक विधि छात्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो चिकित्सा कारण से पिछले साल अपने पहले सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं हो सका। हाईकोर्ट ने केंद्र, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और विश्वविद्यालय को भी नोटिस जारी किया तथा पिछले साल नवंबर में एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ छात्र की अपील पर अपना पक्ष रखने को कहा। उस आदेश में छात्र की याचिका को खारिज कर दिया गया था जिसमें उपस्थिति में कमी होने पर छूट देते हुए परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था।
जुर्माने पर रोक की ठाकुर की याचिका का सीबीआई ने विरोध किया
सीबीआई ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक आश्रय गृह में कई लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बृजेश ठाकुर की दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका का मंगलवार को विरोध किया। याचिका में ठाकुर ने उस पर लगाए गए करीब 32 लाख रुपये के जुर्माने को स्थगित करने की अपील की है।
ठाकुर को आखिरी सांस आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है। सीबीआई ने कहा कि ठाकुर पर जुर्माना लगाए जाने के मामले में कोई पूर्वाग्रह नहीं बरता गया है क्योंकि उसे यौन उत्पीड़न, षडयंत्र और अपहरण के कई गंभीर मामलों के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी गई है। जांच एजेंसी ने अपने जवाब में कहा कि जुर्माना उचित और न्याय हित में है।
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