हाईकोर्ट ने GNCTD कानून में संशोधन के खिलाफ याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा, याचिकाकर्ता ने दी ये दलील

दिल्ली में उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) की शक्तियां बढ़ाने का मामला थम नहीं रहा है। इस मामले में आज हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) में सुनवाई हुई। इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD Act) कानून में संशोधन को असंवैधानिक करार देने के अनुरोध वाली एक याचिका पर सोमवार को केंद्र (central Government) तथा दिल्ली सरकार (Delhi Government) से जवाब मांगा। इस संशोधन के जरिए उप राज्यपाल की शक्तियां बढ़ गई हैं। यह याचिका नीरज शर्मा नाम के व्यक्ति ने दायर की है। याचिकाकर्ता स्वयं को आम आदमी पार्टी (आप) का सदस्य बताता है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल तथा न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कानून मंत्रालय तथा दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर इस याचिका पर अपना रूख बताने को कहा है। याचिका में कहा गया है कि संशोधित जीएनसीटीडी कानून संविधान के विभिन्न मौलिक अधिकारों और अनुच्छेद 239एए का विरोधाभासी है। याचिका के अनुसार, यह कानून सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के भी खिलाफ है जिसमें कहा गया है कि उप राज्यपाल को सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से संबंधित अधिकार होंगे तथा अन्य सभी चीजों के लिए वह मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार काम करने के लिए बाध्य होंगे।
इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से स्थायी वकील संतोष त्रिपाठी ने इस याचिका का तकनीकी पहलुओं के आधार पर विरोध किया। त्रिपाठी ने पीठ से कहा कि याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें दिल्ली की चुनी हुई सरकार को पक्षकार नहीं बनाया गया है। उन्होंने याचिका को आधारहीन बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की है। बेंच ने यह आदेश विश्वनाथ अग्रवाल की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने पीठ को बताया कि केंद्र द्वारा संशोधित कानून से लोगों में इस बात को लेकर भ्रम फैलेगा कि राजधानी में निर्णय कौन लेगा, उपराज्यपाल या चुनी हुई सरकार।
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