कोरोना वायरस ने रोका हिंदी दिवस का जश्न, कई कार्यक्रम किये गये रद्द

भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस को भारत में काफी महत्व दिया जाता है क्योंकि भारत में हिंदी भाषा मात्र भाषा मानी जाती है यह भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली में से एक भाषा है। 14 सितंबर को भारत में काफी धूम धाम से मनाया जाता है खास कर स्कूल कॉलेजों में इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है। स्कूल कॉलेज में हिंदी भाषा के महत्व को प्रदर्शित करने के लिए हिंदी दिवस मनाते हैं। ज्यादातर शिक्षण संस्थान कविता, निबंध और पाठन प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं और छात्रों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हिंदी दिवस पर हर साल, भारत के राष्ट्रपति दिल्ली में एक समारोह में भाषा के प्रति अपने योगदान के लिए लोगों को राजभाषा पुरस्कार दिया जाता है। लेकिन इस साल कोरोना महामारी के कारण हिंदी दिवस हर साल की तरह नहीं मनाया जाएगा।
कोरोना का असर इस साल हर चीज पर पड़ा है चाहे वो इंसान हो या कोई वस्तु या कोई त्योहार ही क्यों ना हो। कोरोना के कारण इस साल कोई भी त्योहार धूमधाम से नहीं मनाया गया इसी कोरोना के कारण इस साल हिंदी दिवस नहीं मनाया जाएगा क्योंकि कोरोना के कारण कोई भी स्कूल या कॉलेज नहीं खुला और ना ही ज्यादा लोग एक जगह पर रोक सकते हैं क्योंकि उससे कोरोना के फैलने का डर है। इस साल कोरोना ने काफी स्थिति बदल दी है। कोरोना के कारण हर व्यक्ति आर्थिक रूप से या मानसिक रूप से परेशान है। भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है और हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत वर्ष 1949 से हुई थी। 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था। तब से इस भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। भारत की संविधान सभा ने 1949 को भारत गणराज्य की आधिकारिक राजभाषा के रूप में हिंदी को अपनाया गया था हालांकि, इसे 26 जनवरी 1950 को देश के संविधान द्वारा आधिकारिक रूप में उपयोग करने का विचार स्वीकृत किया गया था। हिंदी दिवस मनाने का खास कारण यही है कि आज की पीड़ी को हिंदी भाषा का महत्व पता चले। आज के युग में हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी भाषा को महत्व दिया जाता है। अग्रेंजी एक विश्व व्यापी भाषा है और इसके महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता है वही हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम पहले भारतीय हैं और हमें हमारी राष्ट्रीय भाषा का सम्मान करना चाहिए।
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