दिल्ली में एक हफ्ते के ट्रायल में कैसा रहा साप्ताहिक बाजार, आप भी जानें

दिल्ली में एक हफ्ते के ट्रायल में कैसा रहा साप्ताहिक बाजार, आप भी जानें
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चप्पलों की दुकान लगाए रमेश से बात करने पर हमे पता चला की उसने लॉकडाउन के बाद शनिवार को पहली बार दुकान लगाई। उसने शाम 7 बजे से दुकान लगाई थी और रात 10 बजे तक उसकी एक भी चप्पल नहीं बिकी।

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने शुक्रवार को 24-30 अगस्त के लिए परीक्षण के आधार पर साप्ताहिक बाजार खोले जाने की अनुमति दी थी। साथ ही विभागों को सामाजिक दूरी के नियमों समेत कोविड-19 रोकथाम संबंधी उपायों को सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए थे। आज साप्ताहिक बाजार के ट्रायल का आखिरी दिन है। आज के बाद सरकार का फैसला जब आएगा उसके आधार पर बाजार लगेगा की नहीं ये तय किया जाएगा। उससे पहले हम आप को ट्रायल के आधार पर बाजार की स्थिति बताते है।

24 से 30 अगस्त तक साप्ताहिक बाजार लगाए तो गए लेकिन उसमें पहले की तरह ना तो चमक थी और ना ही लोगों की भीड़। बाजार में आए हुए कुछ लोग उनके अंदर साफ कोरोना का डर दिखाई दिया। बाजार में हर व्यक्ति के मुह पर मास्क और आपस में दूरी थी। लोगों के साथ-साथ प्रशासन ने भी अपना काम पूरी ईमानदारी से किया। बाजार में प्रशासन का एक व्यक्ति बाजार में चक्कर लगाता रहा और लोगों को दूरी बनाए रखने और मास्क लगाने की जानकारी देता रहा। साथ ही 10 बजे से पहले दूकानदारों को समय बताकर उन्हे दुकान बंद करने को कहा।

इसी तरह कि स्थिति नोएडा से सटे दिल्ली में शनिवार को लगे साप्ताहिक बाजार में देखने को मिली। हमने उस बाजार में कुछ लोगों से बात की उनसे जानकारी ली की इस साप्ताहिक बाजार में और लॉकडाउन से पहले वाले साप्ताहिक बाजार में कितना अंतर है। कोरोना से इस बाजार में क्या असर पड़ा है और सरकार ने कोरेना के लिए जो निर्देश दिए थे उनका कितना पालन किया जा रहा है। हमने न्यू कोण्डली में रह रही काव्या से बात कि उनका कहना है कि बाजार में कोरोना के कारण बहुत ही कम लोग आए है पहले जैसी भीड़ नहीं है और ना ही पहले जैसा सामान दुकानदारों ने लगाया है। लॉकडाउन से पहले बाजार में घुसना बहुत मुश्किल होता था लेकिन आज बाजार बहुत ही खाली है दुकानदारों ने बहुत ही लिमिट का सामान लगाया है और दुकानदारों ने 9 बजते ही दुकान का सामान वापस अपने बैग में रखना शुरू कर दिया।

इसी तरह बाजार में अपनी चप्पलों की दुकान लगाए रमेश से बात की। रमेश से बात करने पर हमे पता चला की उसने लॉकडाउन के बाद शनिवार को पहली बार दुकान लगाई। उसने शाम 7 बजे से दुकान लगाई थी और रात 10 बजे तक उसकी एक भी चप्पल नहीं बिकी। उससे हमने जब इस बारे में पुछा तो उसने कहा कोरोना के कारण ज्यादातर लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है ज्यादातर लोग सब्जी फल ही ले रहे है और शायद अभी काफी कम लोगों को ही इस बात की जानकारी हुई है कि बाजार दौबारा से लगने शुरू हो गए हैं।

जब हमने उन्हें बताया कि रविवार को बाजार का आखिरी दिन है तो उन्होंने कहा कि सरकार पर उन्हें भरोसा है कि जिस तरह उन्होंने एक हफ्ते का समय दिया है उसी आधार पर वो आगे भी लोगों को बाजार की अनुमति देंगे। गरीब लोगों की उम्मीद सरकार पर टिकी है। लोगों ने अपनी तरफ से सरकार के निर्देशों का अच्छे से पालन किया है और प्रशासन ने उन पर पूरी तरह से नजर रखी है अब देखना ये है कि साप्ताहिक बाजार के ट्रायल के बाद सरकार क्या फैसला लेती है।

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