कुतुब मीनार परिसर से नहीं हटेगी भगवान गणेश की मूर्ति, कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को रोका

कुतुब मीनार परिसर से नहीं हटेगी भगवान गणेश की मूर्ति, कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को रोका
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देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत (Saket Court) ने एएसआई (ASI) को कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque) परिसर में रखी भगवान गणेश (Lord Ganesha) की मूर्तियों को नहीं हटाने का निर्देश दिया है।

देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत (Saket Court) ने एएसआई (ASI) को कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque) परिसर में रखी भगवान गणेश (Lord Ganesha) की मूर्तियों को नहीं हटाने का निर्देश दिया है। इस मामले में पहले ही पूजा के अधिकार को लेकर याचिका दायर कर चुके याचिकाकर्ता ने नए आवेदन में कहा है कि राष्ट्रीय पारस्परिक प्राधिकरण के सुझाव के अनुसार गणेश जी की मूर्तियों को राष्ट्रीय संग्रहालय में विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए या कोई किसी अन्य स्थान पर विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय उन्हें परिसर में ही पूरे सम्मान के साथ उचित स्थान पर रखना चाहिए।

वकील विष्णु जैन (Vishnu Jain) के माध्यम से दायर मुख्य याचिका में कहा गया है कि इस मस्जिद का निर्माण हिंदुओं और जैनियों के 27 मंदिरों को तोड़कर किया गया है। इस मामले में जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और भगवान विष्णु को याचिकाकर्ता बनाया गया था। 29 नवंबर 2021 को सिविल जज नेहा शर्मा ने याचिका खारिज कर दी थी। सिविल जज के याचिका खारिज करने के आदेश को डिस्ट्रिक्ट जज की अदालत में चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि मुगल बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर उनकी जगह पर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कराया था। ऐबक मंदिरों को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया। याचिका में कहा गया था कि कुतुब मीनार परिसर की दीवारों, खंभों और छतों पर हिंदू और जैन देवताओं के चित्र हैं।

भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी, द्वारपाल, भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा, मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिर की घंटी आदि के चिन्ह हैं। इन सभी से पता चलता है कि कुतुब मीनार परिसर एक हिंदू और एक जैन मंदिर था। याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया था।

जिसमें कहा गया था कि कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque) को 27 मंदिरों को उनके ही मलबे से तोड़कर बनाया गया था। याचिका में मांग की गई थी कि इन 27 मंदिरों के जीर्णोद्धार का आदेश दिया जाए और कुतुबमीनार (Qutub Minar) परिसर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा की अनुमति दी जाए।

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