कोरोना वर्ष में पीपल बाबा ने लगाए 1 लाख 11 हजार 780 पौधे, ट्वीट कर के दी जानकारी

कोरोना वर्ष में पीपल बाबा ने लगाए  1 लाख 11 हजार 780 पौधे, ट्वीट कर के दी जानकारी
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लॉकडाउन में पौधों का बिजनेस ठप्प हो गया था, इंडियन नर्सरीमैन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के प्रेसिडेंट वाई पी सिंह के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से देश में 100 करोड़ रूपये से अधिक की पेड़ों की नर्सरी बर्बाद हो गई यह नुकसान केवल दिल्ली में 8 करोड़ से ऊपर का रहा।

पूरी दुनिया में कोरोना की वजह से हाहाकार मचा हुआ है उधोगपतियों का उधोग, मजदूरों की मजदूरी, कर्मचारियों की नौकरी, बहुतों नें तो अपने स्वजनों को खो दिया… सबकुछ तबाह हो गया है। 2020 को लोग कयामत लाने वाला और उदासीनता से भरा बता रहे हैं। अमेरिका के पहले शोध विश्वविध्यालय "जान हापकिंस विश्वविद्यलय" के द्वारा जारी किये गए आकड़े के मुताबिक कोरोना आने के बाद और 17 दिसम्बर 2020 तक के बीच के समयावधि में दुनिया भर में 7 करोड़ 45 लाख लोग कोर्विड 19 से संक्रमित हुए और इस की वजह 16 लाख लोगों की जान गई। यही वह दौर था जब पूरी दुनिया विडियो काल और ज़ूम काल से घर में बैठकर किसी तरह से अपनी दिनचर्या चला रही थी लेकिन पीपल बाबा की टीम सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए लगातार पेड़ लगाती रही थी।

लॉकडाउन में पौधों का बिजनेस ठप्प हो गया था, इंडियन नर्सरीमैन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के प्रेसिडेंट वाई पी सिंह के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से देश में 100 करोड़ रूपये से अधिक की पेड़ों की नर्सरी बर्बाद हो गई यह नुकसान केवल दिल्ली में 8 करोड़ से ऊपर का रहा। लेकिन इस दौर में भी पीपल बाबा की नर्सरी का एक भी पौधा बर्बाद नहीं हुआ क्योंकि बिना रुके पीपल बाबा की टीम का पेड़ लगाओ अभियान जारी रहा।

पीपल बाबा नें ट्वीट करके दी जानकारी, उनकी टीम नें कोरोना वर्ष में लगाए 1 लाख 11 हजार 780 पौधे

भारत में कोरोना विस्फोट के बाद नर्सरियों के बर्बाद होने के बीच लोगों को पौधारोपण से जोडनें के लिए पौधारोपण करके फिक्स डिपाजिट करने का दिया फार्मूला।

कोरोना की वजह से देश के उधोग धंधे बंद हो गए थे माइग्रेंट मजदूर शहरों से गावं की तरफ आने लगे थे। गावं वापस आकर बहुतों ने खुद को कृषि कार्य से जोड़ लिया था। इसस कृषि पर प्रति व्यक्ति निर्भरता काफी बढ़ रही थी। इस समय पर पीपल बाबा नें 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पीपल बाबा ने पुरे देश के लोगों से एक सृजनात्मक अनुरोध करते हुए कहा था कि "कोरोना काल में पौधारोपण करके फिक्स डिपोजिट करना चाहिए" इसके कारणों को समझाते हुए पीपल बाबा नें कहा था कि कृषि कार्य में ज्यादे लोगों के जुड़ जानें से प्रति व्यक्ति आय में कमी आएगी और ओवर उत्पादन से भी कृषि उत्पादों के मूल्य कम होंगे ऐसे में अगर किसान भाई अपने खेतों के किनारे या बंजर जमीनों में पौधारोपण का कार्य करते हैं तो काफी आने वाले समय में इन पेड़ों के तैयार होने पर करोना काल के समय होने वाले नुकसान की भरपाई सूध समेत की जा सकती है। पीपल बाबा के द्वारा दिए गए पौधारोपण से जुड़े इस अवधारणा को "राष्ट्र के नाम कोरोना काल का फिक्स डिपोजिट" कहा गया। इस समय पीपल बाबा द्वारा दिए गए इस अवधारणा की खूब सराहना हुई और एन सी आर के आसपास ढेर सारे लोगों ने पीपल बाबा के पेड़ लगाओ अभियान से जुड़कर कोरोना काल में अपने समय का सदुपयोग करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए ढेर सारे पौधे लगाये।

कोरोना वर्ष में अबाध रूप से जारी रहा पेड़ लगाओ अभ‌ियान

गौरतलब है कि पीपल बाबा की टीम ने कोरोना काल में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया। इस साल पीपल बाबा की टीम नें जहां एन सी आर से जुड़े दिल्ली में 8340 पेड़, नॉएडा में 33,400, ग्रेटर नॉएडा में 28,600, गाजियाबाद में 4,200 पेड़ लगाया वहीँ लखनऊ में 30,280 पेड़, उत्तराखंड में 3820 पेड़ , हरियाणा (सोहना-बहादुरगढ़ रोड पर) में 3140 पेड़ लगाए।

कौन हैं कोरोना काल में लोगों को पौधारोपण से जोड़ने वाले पीपल बाबा?

पीपल बाबा के नाम से मशहूर पर्यावरण कर्मी प्रेम परिवर्तन ने आज से 43 साल पहले 1977 में अपने जीवन का पहला पेड़ लगाकर इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की थी । इन्होंने Give me Trees Trust बनाकर पेड़ लगाने को एक सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय बनाया। अब तक उनकी इस मुहिम से 14,500 स्वयं सेवक जुड़ चुके हैं। उनके ट्रस्ट की ओर से अब तक लगाए गए करीब 2 करोड़ पेड़ों में 1 करोड़ 27 लाख ऑक्सीजन के सबसे बड़े स्रोत पीपल के पेड़ लगाए गए हैं। इसी कारण उनका नाम पीपल बाबा पड़ा।

पीपल बाबा कैसे करते हैं काम

पीपल बाबा अपने पेड़ लगाओ अभियान मुख्य तौर पर सरकारी और सार्वजनिक जमीनों पर करते हैं अगर कोई व्यक्ति पेड़ लगाने हेतू उन्हें बुलावा भेजता है तो इनकी टीम के लोग वहां पर जाकर भी पेड़ लगाते हैं। पीपल बाबा मुख्य तौर पर सेना, अर्धसैनिक बलों, सैन्य स्टेशनों, स्कूलों कालेजों, विश्वविद्यालयों के परिसरों सार्वजनिक उपक्रमों सामाजिक और धार्मिक संगठनों, आश्रमों, मंदिरों, गुरुद्वारों आदि के साथ मिलकर कार्य करते हैं। प्रशासन द्वारा मुहैया कराई गई जमीनों को जंगल बनाने में इन्हें महारत हासिल है उदहारण के तौर पर अगर बात एनसीआर की की जाए तो इन्होंने गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी बीएन सिंह से 15 एकड़ जमीन ली थी आज यह जमीन हरे भरे जंगल में तब्दील हो चुकी है। पर्यावरण पर कार्य करने वाले ढेर सारे एनजीओ पीपल बाबा से अपने कार्य को पूरा करने के लिए पीपल बाबा और उनकी टीम से समय समय पर मदद लेते रहते हैं।

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