कोठे पर बेचे जा रहे मासूम, महामारी में मानव तस्करी बढ़ने की आशंका

दिल्ली के कोठों पर देश के अन्य राज्यों से मासूमों को लाकर बेच दिया जाता है। उनके साथ तरह तरह के जुल्म किये जाते है। ऐसे ही कोठे से बचाई गई मासूम ने अपनी दांस्तां सुनाई है। पश्चिम बंगाल के सुंदरबन के एक मछुआरे की बेटी 13 साल की तरन्नुम को 2012 में एक स्थानीय दुकानदार तस्करी करके लाया था। उसने उसे अच्छे वेतन पर घरेलू सहायिका का काम दिलाने का लालच दिया था। दिल्ली लाने के बाद उसने उसे एक कोठे पर बेच दिया। तीन साल बाद पुलिस की मदद से एक स्थानीय एनजीओ ने उसे बचाया लेकिन घर लौटने के बाद भी खौफनाक यादों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और उसने कई बार अपनी कलाई काटकर आत्महत्या करने की कोशिश की।
तस्करी का शिकार हुई एक अन्य पीड़िता रीमा को अपने माता-पिता भी याद नहीं। उसे अपने पिता की धुंधली-सी तस्वीर याद है। बहुत कम उम्र में एक कोठे के मालिक ने उसकी तस्करी की और उसे वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया। देश के विभिन्न शहरों में कई सालों तक यौन शोषण का शिकार होने के बाद उसे 21 साल की उम्र में 2013 में पश्चिम बंगाल के सोनागाछी में एक कोठे से छुड़ाया गया।
तरन्नुम और रीमा उन हजारों बच्चों और लड़कियों में से हैं जिनकी हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों में तस्करी की जाती है। इस साल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण सामाजिक कार्यकर्ताओं को फिक्र है कि आने वाले वक्त में मानव तस्करी के मामले बढ़ सकते हैं।
तस्करी रोधी शोधकर्ता और लैंगिक अधिकार कार्यकर्ता रूप सेन ने कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के तस्करी की चपेट में आने का खतरा अधिक है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे कई कारण हैं जैसे कर्ज का जाल, कारखानों, रेस्तरां और रिटेल दुकानों का बंद होना और रेड लाइट इलाकों में युवतियों और महिलाओं की मांग में संभावित वृद्धि।
सेन ने कहा कि सरकार मानव तस्करी पर लगाम लगाने के लिए कमजोर परिवारों और समुदायों को नकद हस्तांतरण सहयोग, बच्चों और स्कूल जाने वाली किशोरियों को नकद हस्तांतरण सुविधा मुहैया करा सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि मानव तस्करी रोधी ईकाइयां सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में तस्करी पर खुफिया जानकारियां एकत्रित कर सकती हैं।
एनजीओ 'सेव द चिल्ड्रेन' के उप निदेशक प्रभात कुमार ने बताया कि जब भी कोई आपदा आती है तो संकट के कारण तस्करी के मामले बढ़ जाते हैं क्योंकि तब तस्करी करना आसान हो जाता है। उन्होंने आगाह किया कि आर्थिक संकट, उचित तंत्र के अभाव और प्रवासी संकट से आने वाले वक्त में मानव तस्करी के मामले बढ़ने का खतरा है।
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