International Women's Day 2021: राकेश टिकैत बोले- दिल्ली के बॉर्डरों पर मनाया जाएगा 'महिला दिवस', साथ ही बताई आगे की रणनीति

International Women's Day 2021 नए कृषि कानूनों (Farmlaws) को लेकर केंद्र के खिलाफ 100 दिनों से अधिक किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली के बॉर्डरों (Delhi Border) पर अभी भी किसान डटे हुए है। वहीं, गर्मी (Heat) से बचने के लिए किसान संगठनों ने पूरी तैयारी कर ली है। जबकि कई अन्य राज्यों से किसान पूरी तैयारी के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो चुके है। इसी बीच, कल देशभर में 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाएगा। जिसको लेकर किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि दिल्ली के बॉर्डरों पर भी महिला दिवस मनाया जाएगा। वहीं, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि 13 मार्च को पश्चिम बंगाल जाऊंगा, वहां बड़ी पंचायत है। वहां के किसानों से मिलेंगे और किसान आंदोलन और एमएसपी के बारे में बात करेंगे। कल महिला दिवस मनाएंगे, बॉर्डर पर कल पूरा संचालन महिलाएं करेंगी।
महिला किसान मेहंदी लगाकर केंद्र के खिलाफ जताएंगी विरोध
आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाएं किसान न केवल किसान आंदोलन की पूरी मोर्चा संभालेंगी बल्कि नए ढंग से विरोध प्रदर्शन भी करेंगी। दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध में बैठी महिलाओं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन मेहंदी लगाकर विरोध जताने का फैसला किया गया है। किसान महिलाओं ने कहा- यह इंकलाबी मेहंदी होगी किसान महिलाओं का कहना है कि यह इंकलाबी मेहंदी होगी। आंदोलन में शामिल महिलाएं अपने हाथों पर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे नारे इंकलाबी नारे रचवाएंगी, कृषि उपकरणों जैसे हल आदि के चित्र बनवाएंगी। फसल, खेत, खलिहान और किसानों के संघर्ष को बयां करते स्लोगन हाथों पर लगाएंगी।
किसान अपनी मांगों पर अडिग
संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य दर्शन पाल ने कहा कि किसान संगठन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की अपनी मांग पर अडिग हैं। हमारे आंदोलन की शुरुआत से ही मांग एक समान रही है कि तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। हम सरकार से वार्ता बहाली के लिए तैयार हैं। हालांकि, ऐसा बिना किसी पूर्व शर्त के होना चाहिए। सरकार ने जनवरी में विवादास्पद कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल के लिए स्थगित करने के साथ ही किसानों की समस्याओं का उचित समाधान करने के मद्देनजर संयुक्त समिति बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे किसान संगठनों ने नकार दिया था।
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