जामिया विश्वविद्यालय ने रद्द किया सफूरा जरगर का एडमिशन, पढ़े पूरा मामला

जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) ने पीएचडी (PhD) के लिए सफूरा जरगर (Safoora Zargar) के प्रवेश को रद्द करने की मंजूरी दे दी है। सफूरा को नागरिकता विरोधी संशोधन अधिनियम (Anti-Citizenship Amendment Act) के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा (Delhi Communal Violence) के संबंध में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
जब वह जामिया में एमफिल की छात्रा थी। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मैरी कॉलेज से बीए किया है। इसके बाद उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया से समाजशास्त्र में एमए किया और 2019 में एमफिल शुरू किया। जामिया विश्वविद्यालय का कहना है कि थीसिस में सफूरा जरगर का काम संतोषजनक नहीं है। थीसिस में आवश्यक प्रगति की कमी के कारण उनका शोध कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि थीसिस मामले में सफूरा जरगर को कई बार एक्सटेंशन दिया गया था। विश्वविद्यालय ने उन्हें अपने स्तर पर हर संभव सहायता प्रदान की है, फिर भी उनकी प्रगति असंतोषजनक रही है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में सफूरा जरगर की पर्यवेक्षक और अनुसंधान सलाहकार समिति ने उनके प्रवेश को रद्द करने की सिफारिश की है।
इस सिफारिश को डिपार्टमेंट रिसर्च कमेटी (DRC) ने मंजूरी दे दी थी। अब इसे बोर्ड ऑफ स्टडीज से अंतिम मंजूरी मिल गई है। फिलहाल इस बारे में अधिसूचना जारी नहीं की गई है, लेकिन विश्वविद्यालय का कहना है कि जल्द ही इस संबंध में अधिसूचना भी जारी की जाएगी। जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) द्वारा की गई इस कार्रवाई पर सफूरा जरगर ने सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एमफिल थीसिस (MPhil Thesis) जमा करने की अवधि बढ़ाने के उनके आवेदन को आठ महीने से अधिक समय तक रोक दिया गया था।
हालांकि इस बारे में कोई लिखित जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन अब उन्हें केवल मौखिक रूप से बताया गया है कि उन्हें एक्सटेंशन नहीं दिया जा रहा है। सफूरा ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि मेरा प्रवेश शीघ्र ही रद्द कर दिया जाएगा। यह पूरी तरह से भेदभावपूर्ण कार्रवाई है। उन्होंने इस संबंध में जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) के कुलपति नसीम अख्तर को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें परेशान किया जा रहा है और उनका उपहास किया जा रहा है।
हालांकि जामिया मिल्लिया इस्लामिया का कहना है कि सफूरा को कई बार फील्ड वर्क करने और अपना काम समय पर पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया लेकिन जरगर ने अपने काम में कोई प्रगति नहीं की। विश्वविद्यालय ने उनकी रिपोर्ट को अधिक संतोषजनक बताया है।
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