भैंस की तेरहवीं में पूरे गांव ने खाया भोज, ढोल-नगाड़ों से निकाली थी शव यात्रा

भैंस की तेरहवीं में पूरे गांव ने खाया भोज, ढोल-नगाड़ों से निकाली थी शव यात्रा
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किसान ने भैंस की मौत के बाद सुभाष के परिवार ने ढोल, नगाड़े के साथ उसे अंतिम विदाई दी। इसके बाद उसकी तेरहवीं के लिए बड़ा आयोजन किया गया। इसके लिए बकायदा टेंट, हलवाई लगाया गया और पूरे गांव को तेरहवीं का प्रसाद खिलाया गया। यहां पर भैंस के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन भी किया गया।

उत्तर प्रदेश से एक अजीबो गरीब खबर आई है कि एक किसान की भैंस मर गई तो उसने पूरे को गांव दावत दी। यह घटना मेरठ की है और अब वह किसान अपनी भैंस के कारण पूरे गांव में लोकप्रिय हो गया है। साथ ही साथ उस किसान की काफी चर्चा भी हो रही है। इस किसान ने अपनी भैंस के मरने के बाद उसका पूरी विधि के साथ क्रियाक्रम किया। तेरहवीं के आयोजन में पूरे गांव को ब्रहमभोज कराया गया। किसान ने भैंस की तेरहवीं में अपने रिश्तेदारों के साथ पूरा गांव को आमंत्रित किया।

किसान ने भैंस की मौत के बाद सुभाष के परिवार ने ढोल, नगाड़े के साथ उसे अंतिम विदाई दी। इसके बाद उसकी तेरहवीं के लिए बड़ा आयोजन किया गया। इसके लिए बकायदा टेंट, हलवाई लगाया गया और पूरे गांव को तेरहवीं का प्रसाद खिलाया गया। यहां पर भैंस के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन भी किया गया। जिसमें ग्रामीणों ने भैंस की फोटो पर फूल माला चढ़ाकर भैंस की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

किसान अपनी भैंस से करता था बहुत प्यार

बताया जा रहा है किसान का नाम सुभाष है। जो मेरठ के ही एक गांव का रहने वाला है। वह अपनी भैंस से काफी प्यार करता था और भैंस करीब 30 साल से किसान के परिवार का हिस्सा थी। लेकिन कुछ दिनों पहले भैंस की तबीयत काफी खराब हो गई। परेशान किसान ने उसकी इलाज में कसर नहीं छोड़ी। लेकिन उसको बचा नहीं सका। जानकारी के अनुसार बीते कई साल से भैंस ने दूध देना बंद कर दिया लेकिन किसान ने इसे अपने पास ही रखा और इसकी पूरी देखभाल करता था।

यह अनूठी तेरहवीं पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी

इसलिए भैंस के मरने के बाद किसान ने तेरहवीं का आयोजन कर पूरे गांव को बुलाया था। भैंस की प्रति इतना प्यार और फिर उसके मरने के बाद उसकी ऐसी विदाई करना काफी चर्चा में है। इस तेरहवीं के मौके पर सुभाष ने पूरे गांव के लोगों को दावत दी। तेरहवीं में आने वाले सभी ग्रामीणों ने वहां पर पूरे विधि-विधान से भैंस को श्रद्धांजलि दी। यह अनूठी तेरहवीं पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।

भैंस की आत्मा को शांति मिलने के लिए उसका क्रियाक्रम किया गया

किसान सुभाष ने कहा है कि वो अपनी भैंस को अपने परिवार के सदस्य की तरह ही मानते थे। उस भैंस की आत्मा को शांति मिले। इसलिए उसने अपनी भैंस के मरने के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए हर विधि विधान से क्रमकांड किया। आगे किसान ने कहा कि कि उन्होंने बचपन से ही इस भैंस को पाला था, इसलिए उन्हें इससे काफी लगाव था। भैंस के दूध देना बंद करने के बाद भी सुभाष ने न तो उसकी उपेक्षा की और न ही उसको बेचने पर विचार किया। बीते एक महीने से भैंस की तबीयत खराब होने पर सुभाष ने उसके इलाज के लिए काफी धन भी खर्च किया।

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