एमसीडी मेयर में विलय कब और किसका, सिविक सेंटर समेत हर जगह वेटिंग

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव 2022 को लेकर इस बार भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर वाला जो माहौल रहा है, उस माहौल को देखते हुए अब जनता के साथ ही दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी भी निगम महापौर के नाम का इंतजार कर रहे हैं। चाय व नाई की दुकान हो या फिर मेट्रो रेल व बस में यात्रा, हर जगह चर्चा हो रही है कि महापौर कौन और किस पार्टी का होगा। वहीं, निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में यह मामला गर्म जरूर है लेकिन ठंडा भी लग रहा है।
निगम के आलाधिकारी भी इस मामले में खुलकर कुछ नहीं कह पा रहें हैं। साथ ही महापौर बनने की प्रक्रिया को लेकर कहा जा रहा है कि अभी तक पार्षदों को शपथ दिलाये व जांच संबंधी फाइल निगमायुक्त कार्यालय से बाहर ही नहीं निकल पाई है।
निगम मुख्यालय सिविक सेंटर से बुधवार को मिली जानकारी के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग से निगम सचिव को नोटिफिकेशन मिला है और इसे निगम सचिव ने आयुक्त कार्यालय को भेज दिया है लेकिन निगमायुक्त कार्यालय से अभी फाइल को दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय जाना है लेकिन यह फाइल अभी निगमायुक्त कार्यालय में ही बताई जा रही है।
यह है महापौर निर्वाचित होने की प्रक्रिया
निगम प्रशासन का कहना है कि उपराज्यपाल के पास फाइल जाने के बाद उपराज्यपाल इसकी अनुमति निगम प्रशासन को देगा फिर निगम सचिव के पास फाइल आने के बाद सचिव कार्यालय राज्य निर्वाचन आयोग को निगम पार्षदों के नाम, पता, फोन नंबर आदि जानकारी की पुष्टि मांगेगा जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग पार्षदों की सूची पर अंतिम मुहर लगाएगा। इसके बाद फिर पार्षदों को शपथ दिलाई जाएगी जिसके बाद निर्धारित प्रक्रिया के तहत महापौर पद के लिए मतदान होगा और महापौर निर्वाचित किया जाएगा। महापौर के चुनाव की प्रक्रिया में 10 सांसद और 14 विधायक भी मतदान करेंगे।
सदन के अंदर व बाहर मजबूत करनी होगी सुरक्षा व्यवस्था
दिल्ली नगर निगम की सदन व स्थायी समिति की होने वाली बैठकों में अब निगम प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी होगी। इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी बहुमत में है तो वहीं, भाजपा भी विपक्ष में अनुभव के साथ दमदार भूमिका निभाने को तैयार है। भाजपा को पिछले 15 साल का अनुभव है तो कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में शामिल हुए मुकेश गोयल भी कम नहीं बताए जा रहे हैं। हो सकता है कि मुकेश गोयल सदन के नेता बनाए जाए। निगम में भाजपा की सत्ता के दौरान कांग्रेस में विपक्ष दल में भूमिका निभाते हुए मुकेश गोयल भाजपा और आम आदमी पार्टी को जमकर घेरते थे। देखा जाए तो सदन की बैठकों में आम आदमी के पार्षदों ने विभिन्न मामलों को लेकर जमकर हंगामा किया था जिसके बाद मॉर्शलों ने आप पार्षदों को काबू में करना पड़ा था और कई बार आप पार्षद बैठकों से निलबिंत भी किए गए थें, अब वहीं स्थिति भाजपा के पार्षदों के साथ भी हो सकती है।
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