PM Poshan Scheme: मिड-डे-मील योजना का नाम बदलकर 'पीएम पोषण' रखा गया, विपक्षी दलों ने साधा निशाना

PM Poshan Scheme: मिड-डे-मील योजना का नाम बदलकर पीएम पोषण रखा गया, विपक्षी दलों ने साधा निशाना
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PM Poshan scheme: इस बारे में पीएम पोषण योजना को लेकर किए गए अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने लिखा कि कुपोषण के खतरे से निपटने के लिए हम हरसंभव काम करने को प्रतिबद्ध हैं। पीएम-पोषण को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय बहुत अहम है और इससे भारत के युवाओं का फायदा होगा।

PM Poshan scheme देशभर में स्कूलों (Government Schools) में केंद्र की ओर से चलाई जा रही मीड डे मील (Mid Day Meal) का नाम बदल दिया गया है। अब इस योजना को 'पीएम पोषण' (PM Poshan) नाम से जाना जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने इसे लेकर मंजूरी दी है। इस समय मिड-डे मील योजना देश के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों को गर्म भोजन प्रदान करती है। अब इसका नाम पीएम पोषण शक्ति निर्माण कर दिया गया है। इस बारे में पीएम पोषण योजना को लेकर किए गए अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने लिखा कि कुपोषण के खतरे से निपटने के लिए हम हरसंभव काम करने को प्रतिबद्ध हैं। पीएम-पोषण को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय बहुत अहम है और इससे भारत के युवाओं का फायदा होगा। केंद्र सरकार के इस तरह योजना के नाम बदलने पर सियासत गर्म होने लगी है। विपक्ष के कई दलों ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। विपक्षी दलों ने कहा कि योजना का नाम बदलने से बच्चों को क्या मिलेगा।

इसके लिए कुल 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित

इसके साथ ही इस योजना को 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल तक जारी रखने के लिए कुल 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित किया गया है। शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि इसमें से केंद्र सरकार 54061.73 करोड़ रुपये का योगदान देगी, जबकि राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 31,733.17 करोड़ रुपये प्रदान करेंगे। सरकार ने एक बयान में कहा कि केंद्र खाद्यान्न पर लगभग 45,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च वहन करेगा।

इस योजना के तहत 11.80 करोड़ बच्चों को भोजन देने का लक्ष्य

इस योजना का लक्ष्य 11.20 लाख स्कूलों में 11.80 करोड़ बच्चों को शामिल करना है। सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के सभी स्कूली छात्र इस योजना का लाभ उठाने के पात्र हैं। इस योजना के दायरे में अब एक से 5 साल तक के बच्चे भी आएंगे। आपको बता दें कि मिड-डे मील योजना का लाभ 6 से 14 साल तक के बच्चों को मिलता था लेकिन अब पीएम-पोषण योजना के तहत दोनों वर्ग के बच्चों को दोपहर का मुकाबले केंद्र सरकार का ज्यादा सहयोग होगा।

योजना 5 साल तक चलेगी यह योजना: अनुराग ठाकुर

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह योजना 5 साल तक चलेगी और 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक 'बाल वाटिका' में भाग लेने वाले 1-5 वर्ष की आयु के प्री-स्कूल बच्चों को भी योजना के तहत कवर किया जाएगा। बता दें, मिड डे मील योजना का शुभारंभ साल 1995 में किया गया था। जिसका उद्देश्य देशभर के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों में पोषण के स्तर को सुधार करना और दिन में कम से कम एख बार बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना था। जो बाद में चलकर स्कूलों में बच्चों के एडमिशन में सुधार करने में सहायक बन गई।

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