मंदिर को बचाने के लिए मुस्लिमों ने पेश की मिसाल, दिल्‍ली हाईकोर्ट में दायर की याचिका, पढ़ें पूरी खबर

मंदिर को बचाने के लिए मुस्लिमों ने पेश की मिसाल, दिल्‍ली हाईकोर्ट में दायर की याचिका, पढ़ें पूरी खबर
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याचिकाकर्ताओं ने बताया है कि मंदिर का निर्माण 1970 में हुआ था, जो डीडीए के ले-आउट प्लान में शामिल है। मंदिर में कई मूर्तियां हैं, लेकिन अब बिल्डर द्वारा पहले आसपास के इलाके को और अब मंदिर को हटाने की कोशिश की जा रही है। ऐसा होने से इलाके में तनाव बढ़ सकता है।

दिल्ली के जामिया नगर (Jamia Nagar) में स्थित मंदिर (Temple) को बचाने के लिए मुस्लिमों द्वारा हाईकोर्ट (Delhi High Court) का रुख कर हिंदू मुस्लिम भाईचारे (Muslim Save Temple) की मिसाल पेश की है। कोर्ट में दायर इस याचिका में कहा गया था कि मंदिर के आसपास बनी इमारतों को हटा दिया गया, लेकिन यहां पर एक मंदिर है उसे नुकसान ना पहुंचाया जाए। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस (Delhi Police) को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि मंदिर को कुछ नहीं होना चाहिए। जहां वह अतिक्रमण हटाने का काम कर रहे है।

इस पर दिल्ली पुलिस और राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि भविष्य में मंदिर परिसर में कोई अवैध अतिक्रमण नहीं होगा। याचिकाकर्ताओं ने बताया है कि मंदिर का निर्माण 1970 में हुआ था, जो डीडीए के ले-आउट प्लान में शामिल है। मंदिर में कई मूर्तियां हैं, लेकिन अब बिल्डर द्वारा पहले आसपास के इलाके को और अब मंदिर को हटाने की कोशिश की जा रही है। ऐसा होने से इलाके में तनाव बढ़ सकता है।

दरअसल, कुछ समय पहले कथित तौर पर मंदिर की जमीन पर कब्‍जा करने के इरादे से मंदिर की देखरेख करने वाले ने बगल में स्थित धर्मशाला के एक हिस्से को तोड़ दिया था, जबकि जामिया नगर वार्ड 206 कमेटी के अध्यक्ष सैयद फौजुल अजीम की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि ले-आउट प्लान के हिसाब से उक्त स्थान पर मंदिर है और इस पर अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं है। एसडीएमसी के वकील ने कहा कि निगम द्वारा ध्वस्तीकरण की कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने बताया कि उक्त स्थान का निरीक्षण किया गया और वहां पर कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा है। दिल्ली सरकार व पुलिस की दलील को रिकॉर्ड पर लेते हुए बेंच ने याचिका का निपटारा कर दिया।

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