विपक्षी एकता की खातिर नीतीश कुमार ने की केजरीवाल से मुलाकात, बोले- प्रधानमंत्री बनने की कोई इच्छा नही, विपक्ष को एकजुट रखना है लक्ष्य

विपक्षी एकता की खातिर नीतीश कुमार ने की केजरीवाल से मुलाकात, बोले- प्रधानमंत्री बनने की कोई इच्छा नही, विपक्ष को एकजुट रखना है लक्ष्य
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विपक्षी एकता के अगुआ बने नीतीश कुमार इस समय दिल्ली में तमाम विपक्षी नेताओं के मुलाकात कर रहे है. इस कड़ी में उन्होंने आज अरविन्द केजरीवाल से भी उनके आवास पर मुलाकात की।

नई दिल्ली: अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को पटकनी देने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम पर निकले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल से मुलाकात की है। नीतीश विपक्ष के नेताओं से लगातार मुलाकात कर रहे हैं, इससे पहले उन्होंने राहुल गाँधी, सीतराम येचुरी और डी राजा से भी मुलाकात की थी। नीतीश कुमार का लक्ष्य 2024 के चुनाव में मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का है, जो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके। नीतीश कुमार ने केजरीवाल से उनके घर पर मुलाकात की, इस दौरान राज्यसभा सांसद संजय सिंह और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी वहां उपस्थित रहे।

वाम नेताओं से भी की मुलाकात, प्रधानमंत्री बनने की इच्छाओं का किया खंडन

केजरीवाल से मिलने से पहले पहले नीतीश कुमार ने सीपीएम नेता सीतराम येचुरी और सीपीएम नेता डी राजा से भी उनके ऑफिस में मुलाक़ात की थी। सीतराम येचुरी से बैठक करने के बाद के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि, "मेरी प्रधानमंत्री बनने की बिल्कुल भी इच्छा नही है और ना ही में इसके लिए कोई दावेदारी प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस समय मेरा लक्ष्य सिर्फ सभी क्षेत्रीय दलों, वाम दलों व कांग्रेस को को एकजुट करने का है। अगर मेरे प्रयास से ये सभी दल साथ आ जाते हैं, तो बहुत ही बड़ी बात होगी।" पुराने दिनों को याद करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि, "मेरा शुरू से ही माकपा से गहरा नाता रहा है। भले ही मीडिया ने मुझे न देखा हो, लेकिन मैं जब भी दिल्ली आता तो इस ऑफिस में आ ही जाता था। जब भी हम एक ही थे, आज भी एक ही हैं। हमारा पूरा ध्यान सिर्फ विपक्षी एकता पर है।"

प्रमोद तिवारी उत्साहित, बोले - आधे विपक्षी भी साथ आ जाएं, तो भाजपा 100 सीट भी नहीं जीत पाएगी

नितीश कुमार की विपक्षी नेताओं के साथ बैठकों से उत्साहित कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने बयान दिया है कि, "यदि आधे विपक्षी दल भी एकजुट हो जाएँ, तो अगले चुनाव में भाजपा 100 सीटों के लिए भी तरस जायेगी।" मीडिया के सामने कुछ आंकड़े रखते हुए प्रमोद तिवारी ने कहा कि, "2014 में भाजपा के पक्ष में काम विरोध में ज्यादा वोट पड़े थे, लेकिन विरोध में पड़े वोट बिखर गये थे। अगर विरोध में पड़ा वोट एकजुट हो जाए तो भाजपा को आसानी से हराया जा सकता है।"

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