शव देने के लिए अस्पताल ने थमाया 8 लाख का बिल और श्मशान घाट जाने के लिए एम्बुलेंस चालक ने मांगे 15 हजार, जानें क्या है पूरा मामला

Noida Coronavirus कोरोना संक्रमण से नोएडा में त्राहीमाम मचा हुआ है। लेकिन कुछ लोग इस संकट की घड़ी में भी फायदे की सोच रहे हैं। चाहे वे एंबुलेंस चालक (Ambulance Driver) , डॉक्टर (Doctor) या फिर दवाइयों की कालाबाजारी (Black Marketing) करने वाले हैवान सब इस महामारी (Corona Pandemic) में लोगों को लूटने का काम कर रहे है। ऐसा ही एक मामला नोएडा से सामने आया जहां पर मृत व्यक्ति का शव देने के लिए अस्पताल (Private Hospital) ने 8 लाख रुपये की मांग कर दी और शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस ने 13 किलो मीटर के 15 हजार रुपये मांगें। इस दुख की घड़ी में जब सब कुछ खत्म हो रहा लेकिन इन लोगों को अपना घर भरने से मतलब है वहीं पुलिस प्रशासन भी कुंभकर्णी नींद में सो रहा है। आइये आपको बताते है क्या है पूरा मामला;-
नोएडा के एक प्राइवेट अस्पताल में अमित उपाध्याय (32) को 17 अप्रैल को भर्ती किया गया था। संक्रमण बढ़ने पर अस्पताल ने अमित को वेंटिलेटर पर रखा था। 8 मई को अमित की मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि अस्पताल ने शव देने से इनकार कर दिया। कहा गया कि पहले आठ लाख रुपये जमा कीजिए। पैसे मिलने के बाद शव दिया जाएगा। परिजनों ने रोते हुए बार-बार डॉक्टरों और अस्पताल वालों से गुहार लगाई कि जवान बेटा चला गया, कम से कम हमें उसको शव तो दे दो। घरवालों ने अब तक हम लोग करीब तीन लाख रुपये भर चुके हैं।
शनिवार को अचानक डॉक्टर ने मौत की खबर दी। आठ लाख रुपये का बिल थमा दिया। नीरज का कहना है, अब इतनी मोटी रकम देना हमारे लिए नामुमकिन नहीं है। अस्पताल वालों से काफी समय तक आपसी बहस होती रही। करीब छह घंटे बाद शनिवार की रात तीन लाख रुपये परिवार ने रिश्तेदारों से मांगकर एकत्र किए। अस्पताल वालों को दिए। तब जाकर लाश दी गई और परिवार ने बेटे का अंतिम संस्कार किया है।
कोरोना संक्रमित शवों को श्मशान घाट ले जाने वाले ऐम्बुलेंस चालक शहर में खुलकर मनमानी कर रहे हैं। जिला प्रशासन किराया तय कर चुका है। नोएडा पुलिस ऐसे कई ड्राइवरों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन कोरोना के नाम पर लूट बरकरार है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एक निजी अस्पताल से शव को करीब 13 किलोमीटर दूर सफीपुर श्मशान घाट ले जाने के बदले एक निजी ऐम्बुलेंस चालक ने 15 हजार रुपये मांग लिए। साथ ही कहा कि अगर वहां अंतिम संस्कार नहीं हुआ और दूसरी जगह शव लेकर जाना पड़ा, तो दोगुने पैसे लेगा। पीड़ित परिवार ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के नियमों को बेमायने बताया है।
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