भलस्वा कूड़े के पहाड़ में अब नहीं लगेगी आग, MCD ने निकली नई तरकीब, जानें क्या हैं प्लान

भलस्वा कूड़े के पहाड़ में अब नहीं लगेगी आग, MCD ने निकली नई तरकीब, जानें क्या हैं प्लान
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दिल्ली में बने कूड़े के पहाड़ में बार-बार आग लगने की घटना से पैदा होने वाली समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली नगर निगम ने एक तरकीब खोज ली है। नगर निगम ने अब भलस्वा लैंडफिल पर कचरे के साथ मलबा डालने का फैसला किया है।

दिल्ली में बने कूड़े के पहाड़ (mountain of garbage) में बार-बार आग (fire) लगने की घटना से पैदा होने वाली समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) ने एक तरकीब खोज ली है। नगर निगम ने अब भलस्वा लैंडफिल (Bhalswa landfill) पर कचरे के साथ मलबा डालने का फैसला किया है।

इससे नए कचरे में आग लगने की संभावना 90 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। हालांकि यह मलबा नया नहीं है, बल्कि लैंडफिल पर ट्रामल किया जा रहा बारीक मलबा है। इससे ज्वलनशील पदार्थ (combustible material) आग की चपेट में आने से बचेंगे। साथ ही कचरा भी नीचे की ओर नहीं खिसकेगा। जब तक तापमान अधिक रहेगा नगर निगम इस तरीके का प्रयोग करेगा।

उत्तरी निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भलस्वा लैंडफिल (Bhalswa landfill) में लगी आग पुराने कचरे के कारण नहीं, बल्कि हाल के दिनों में फेंका गया नया कचरे में लगी थी। हो सकता है कि नए कचरे में कुछ ज्वलनशील पदार्थ लैंडफिल में नीचे से निकलने वाली मीथेन गैस के संपर्क में आए हों। फिर धीरे-धीरे यह आग और बड़ी हो गई होगी। इसे ध्यान में रखते हुए हमने दैनिक डंपिंग के साथ-साथ ट्रामल किया हुआ बारीक मलबा भी डंप करना शुरू कर दिया है।

इससे आग को फैलने से रोकने में भी मदद मिली है। साथ ही धुआं भी कम हुआ है। उन्होंने बताया कि कूड़े के ऊपर वाहनों की आवाजाही के लिए लैंडफिल पर हम मलबा डंप करते हैं, ताकि कचरा नीचे न खिसके। इसके साथ ही गाड़ी का वजन भी झेल पाए। वर्तमान में भलस्वा लैंडफिल (Bhalswa landfill) में 44 ट्रामल मशीनें लगाई गई हैं। इसमें रोजाना करीब 30-35 मशीनें चलती हैं। इससे रोजाना करीब 10 हजार टन कचरा निस्तारण किया जाता है। इसमें पांच हजार अक्रिय हैं, जबकि चार हजार टन अन्य कचरा है और एक हजार टन मलबा है। यहां हर दिन 2500 टन नया कचरा डंप किया जाता है।

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